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बारडोली और सरकार

सरकार लगानकी हानिको ही प्रतिष्ठाकी हानि समझती है, तब सरकारको उनका काम नगण्य लगने लगा है। लगान वसूल करनेके लिए सरकारको अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखना आवश्यक है, वह कोरी प्रतिष्ठामें विश्वास नहीं करती ।

और इसलिए सरकारने इस मामलेसे सम्बन्धित पहले ही पत्रमें वल्लभभाईकी सद्भावनाओंकी घोषणाओंपर आपत्ति प्रकट कर और उन्हें बारडोलीमें बाहरका आदमी बताकर उनका अपमान करना उचित समझा है । अन्तिम पत्रमें अपमानपर जोर दिया गया है और इससे कोई सन्देह नहीं रह जाता कि इसमें परम श्रेष्ठnगवर्नरका भी हाथ था। श्रीयुत वल्लभभाईने अपने पत्रमें नम्रतापूर्वक मान लिया था कि परम श्रेष्ठ गवर्नरका सम्बन्ध सरकारी विज्ञप्तियोंमें घोषित नीतिसे तो जोड़ा जा सकता है, परन्तु उनका सम्बन्ध अभिव्यक्तिके तरीकेसे न जोड़ा जाये खास तौरपर इस तरहकी अभिव्यक्तिसे जबकि जनता प्रशासनकी सेवाके सचिवोंसे पत्र-व्यवहार करते समय यदि थोड़ा-सा भी प्रतिरोध या स्वतन्त्रताकी झलक दिखाती है, तो उस पर चिढ़ कर वे सचिव प्राय: अपमानजनक भाषाका प्रयोग करते हैं। गवर्नरने अनुचित अपमानमें भागी होना स्वीकार किया है। इससे साफ पता चलता है कि गवर्नरोंके लिए नौकरशाहीके चक्करसे बच निकलना कितना कठिन होता है, चाहे उनकी मौजूदा गवर्नरकी तरह सद्भावनायुक्त और निष्पक्ष होनेकी कितनी ही प्रसिद्धि क्यों न हो। शेखीका मुँह काला गरूरका सिर नीचा...

परन्तु वल्लभभाईकी इतनी चौड़ी छाती है कि नौकरशाहीके लोग सुरक्षित और सुदृढ़ ऊँचाइयोंसे उनपर अपमानोंकी कितनी ही बौछार क्यों न करें, वह उन अल्फाजी अपमानोंको सह सकते हैं। अपमानपर इतने विस्तारसे लिखनेका कारण यह है कि मैं उस सरकारके निहायत जिम्मेदार रवैयेकी ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ, जो उच्च कोटिके सार्वजनिक कार्यकर्त्ताको अपमानित करनेका साहस करती है ।

परन्तु हम फिलहाल इस बातपर गौर करें कि वह क्या बात है जिससे सरकार क्षुब्ध हो गई है ? गान अत्यन्त सुरक्षित विषय और जैसी हालत में कानून है वह उसकी सीमासे बाहर है। लगानका विनियमन करना पूरी तरह प्रशासनिक अधिकारियोंपर निर्भर होता है। इसे सार्वजनिक अधिकारमें या कानूनी अधिकारमें लानेका जो भी प्रयत्न अभी तक किया गया है वह असफल रहा है। सरकारको हमेशा बढ़ता रहनेवाला खर्च, जो अधिकांशमें सैनिक खर्च है, किसी-न-किसी तरह

अवश्य पूरा करना है, इसलिए लगान मनमाने तौरपर बढ़ा दिया जाता है, क्योंकि इसका असर सबसे बड़े वर्गपर और ऐसे वर्गपर जिसकी कोई आवाज नहीं है और उस वर्गपर पड़ता है जिसे निस्संकोच दबाया जा सकता है। यदि शासित लोगोंकी उनपर कर लगाने के मामले में कोई पूछ हो या वे इसका सफलतापूर्वक प्रतिरोध कर सकें तो गैरजिम्मेदार सरकारका खातमा हो जाएगा। अपने यहाँ लगानमें जो बढ़ोतरी की गई है बारडोलीमें उसे ठीक नहीं समझा गया है। यहाँके लोगोने सरकारको लिखित याचिकाएँ दीं और प्रतिकारके लिए उन सभी साधनोंका उपयोग

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