पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/१३७

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११०. पत्र : ए० एस० मण्णाडि नायरको

आश्रम
साबरमती
१० मार्च,१९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैंने उसे डा० रायको उस पत्र सहित भेज दिया है, जिसकी प्रति संलग्न है। मेरे सामने जो नैतिक कठिनाई है आप उसे समझेंगे । यद्यपि मैंने संसारमें शायद सबसे अधिक सम्पन्न होनेका दावा किया है, फिर भी आप मेरी गरीबीकी हदको भी महसूस करेंगे। मैं अच्छी तरह समझता हूँ कि राय और मेरे बीचमें आपको नुकसान नहीं होना चाहिए। परन्तु यदि आपको डॉ० रायसे या कप्तान बसुसे कोई राहत नहीं मिलती तो इस घटनासे आप यह सबक लेंगे कि महात्माओंसे या जो लोग अपने नामके साथ महात्मा शब्द लगाते हैं, उनसे कभी कोई सम्बन्ध न रखा जाये । महात्मा लोग इस अत्यधिक भारसे दबी धरती पर अनुचित लाभ उठाने वाले सबसे अधिक अविश्वसनीय ग्राहक हैं ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत ए० एस० मण्णाडि नायर
बायो केमिस्ट्री प्रोफेसर
मद्रास मेडिकल कालेज
मद्रास

अंग्रेजी (एस० एन० १३१०१) की फोटो-नकलसे ।

१११. पत्र : जॉन हेन्स होम्सको

आश्रम
साबरमती
१० मार्च, १९२८

प्रिय मित्र,

मुझे फिर सहायता कोषके लिए और दस डालर दानकी प्राप्ति-स्वीकृति धन्यवाद सहित देनी है। ये सारी रकमें सहायता कोष समितिके सचिवको भेज दी गई हैं। परन्तु मुझे आशा है कि आपने दाताओंको उनकी उदारताके लिए मेरा हार्दिक धन्यवाद व्यक्त करनेका कोई तरीका निकाल लिया होगा ।

१. देखिए पिछला शोर्षक ।