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११३. टिप्पणियाँ

दिवंगत रमणभाई

सर रमणभाई गुजरातको रोता छोड़कर चल बसे हैं। रमणभाई अर्थात् गुजरातके आधुनिक जीवनके इतिहास । रमणभाई अर्थात् समाज-सुधार । रमणभाई गरीबोंके बन्धु थे। वे अहमदाबादके नागरिक जीवनमें रमे रहते थे। उनकी गुजराती भाषाकी सेवा उच्चकोटिकी थी। उनके शुद्ध चरित्रका प्रभाव उनके सम्पर्कमें आने वाले लोगोंपर पड़े बिना नहीं रहता था। रमणभाईका विनोद उनकी पुस्तकोंमें छलकता है। किन्तु उन्होंने जीवनको विनोदके रूपमें नहीं देखा था। उन्होंने जीवनको कर्त्तव्यमय बनानेमें उसकी सार्थकता मानी थी। हर अच्छे काममें रमणभाई सहायता अवश्य देते थे । देश-हितके कामों में वह पूरा हिस्सा लेते थे।

जिन कार्योंको रमणभाईने सेवाका कार्य माना उनमें उन्होंने अपना पूरा बल लगाया और कभी पीछे नहीं हटे। वे सख्त बीमार होनेपर भी और राजनीति विषयक पूरा मतभेद होनेपर भी वल्लभभाईकी नगरपालिका सम्बन्धी सेवाओंकी कद्र करते थे और अवसर आनेपर पर्याप्त सहायता देना कभी नहीं भूलते थे। अहमदाबादकी सार्वजनिक संस्थाओंमें शायद ही कोई ऐसी संस्था होगी जिसने रमणभाईका नाम अपने साथ सम्बद्ध न रखना चाहा हो ।

गुजरातके ऐसे पुरुष-रत्नके वियोगसे उसका परिवार ही दुखी नहीं है, बल्कि इस दुखमें समस्त गुजरात भी शामिल है।

आजकल ऐसी रूढ़ि हो गई है कि जो मनुष्य राजनीतिमें, और उसमें भी उग्र राजनीतिमें भाग न लेता हो उसकी शान्त और अदृश्य सेवाओंकी कीमत कदाचित ही आँकी जाती है। मेरा विनम्र मत यह है कि ऐसा करना भूल है। यह भूल कालान्तरमें सुधर जायेगी । जो मनुष्य एक भी विधवाके आँसू पोंछता है, जो एक भी बालिकाको विवाहके नामपर होनेवाले पशु-यज्ञमें से बचाता है और जो एक भी अन्त्यजकी निःस्वार्थ सेवा करता है वह देश और समाजकी शुद्ध सेवा करता है। और यह बहुत सम्भव है कि जब राजनीतिके महापराक्रमी वीरकी लड़ाई विस्मृत हो जायेगी तब भी जहाँ-तहाँ किसी कोने में की जानेवाली ऐसी सेवा फल देती रहेगी। जिस सेवाके पीछे तालियोंकी गड़गड़ाहट नहीं, बल्कि प्रभुका आशीर्वाद है वह सेवा अवश्य ही खरी सेवा है। रमणभाईकी सेवा ऐसी ही थी । तालियोंकी गड़गड़ाहट भी उनके भाग्यमें आई थी; किन्तु उसकी जरूरत रमणभाईको थी ही नहीं; इसलिए उसका क्यों उल्लेख करूँ ? रमणभाई तो वीर योद्धा थे। वे युवकोंके शोर करने और सीटियां बजानेके बीच भी अपने विचारों और अपने स्थानपर दृढ़ रहते थे । उनको ऐसा करते किसने नहीं देखा था ? उनके ये गुण हम सभी लोगोंमें आयें । हम प्रभुसे यही प्रार्थना करते हैं।