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२८७. पत्र : देवचन्द पारेखको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
२० अप्रैल, १९२८

भाईश्री देवचन्दभाई,

आपका पत्र मिला। रेवाशंकरभाईका पत्र पढ़नेके बाद उनसे आग्रह कैसे कर सकता हूँ । क्या आप चाहते हैं कि रेवाशंकर भाई सिर्फ अपना नाम ही दें और हम उनसे कुछ काम न लें ? और यदि यह चाहते हों तो किसी अच्छा काम करनेवाले कामचलाऊ सहायक प्रमुखको ढूंढ लेना चाहिए। इस सब कामके लिए आप बम्बई हो आयें यह तो वांछनीय है ही। हो सकता है कि रेवाशंकरभाई ऐसे सहायक प्रमुख या किसी दूसरे प्रमुखका नाम बता सकेंगे। अभी मुझे लिखें कि आपकी क्या इच्छा है, ताकि वैसा ही कर सकूँ ।

बापूके वन्देमातरम्

गुजराती (जी० एन० ५६९१) की फोटो-नकलसे ।

२८८. पत्र : जॉन हेन्स होम्सको

आश्रम
साबरमती
२० अप्रैल, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र [१] मिला। मैं आपका प्रतिरोध नहीं कर सकता परन्तु मैं आपकी बात सही मान लेता हूँ। मैं आपको निम्नलिखित केवल एक वाक्य ही भेज रहा हूँ :-

मेरे विचारमें टॉल्स्टॉयके जीवनकी सबसे महान् देन यही है कि उन्होंने हमेशा इस बातकी परवाह किये बिना कि क्या मूल्य चुकाना पड़ेगा, अपने उपदेशोंको अमली जामा पहनानेकी कोशिश की ।

  1. जॉन हेन्स होम्सने लिखा था: टॉल्स्टॉप शताब्दीके उपलक्ष में निकल रहा यूनिटीका विशेष संस्करण आपकी कलमसे लिखी श्रद्धांजलिके बिना अधूरा रहेगा।