पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/३०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२९८. पत्र : अ० भा० च० संघके मन्त्रीको

आश्रम
साबरमती
२२ अप्रैल, १९२८

प्रिय महोदय,

श्री प्रकाशमने जिस ऋणका दायित्व लिया है उसके सम्बन्धमें आपका पत्र मुझे मिला है। मैंने उन्हें पत्र [१]लिखा है।

हृदयसे आपका,

मन्त्री

अ० भा० च० संघ, अहमदाबाद

अंग्रेजी (एस० एन० १३५९४) की माइक्रोफिल्मसे ।

२९९. तार : मथुराप्रसादको

[२३ अप्रैल, १९२८ से पूर्व

[२]

आपका पत्र मिला। जब राधा लौटे तब राजकिशोरी और रामानन्द उसके साथ आयें । कृपया मगनलालकी हालतके बारेमें रोजाना तार देते रहें -- सन्नि- पातका क्या कारण है।

गांधी

अंग्रेजी ( एस० एन० १४६५१) की फोटो-नकलसे ।

३००. पत्र : मणिलाल गांधी और सुशीला गांधीको

२३ अप्रैल, १९२८

चि० मणिलाल और सुशीला,

यह पत्र लिखते समय मेरे सामने पटनासे प्राप्त तार रखा है कि मगनलाल मृत्युशैया पर है। संयोगवश राधा भी वहाँ है। पटनाके मित्र उसकी देखभालमें कुछ कसर नहीं रखेंगे। किसी भी क्षण मगनलालकी विदाईका तार आ सकता है। जिसे मैं अपना वारिस मानता हूँ वह अपनी विरासत छोड़कर चलनेकी तैयारी कर

  1. यह पत्र उपलब्ध नहीं है।
  2. मगनलाल गांधीको मृत्यु २३ अप्रैलको हुई थी।