पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/३१०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

३१६. तार : च० राजगोपालाचारीको

[१]

२५ अप्रैल, १९२८

मगनलालके देहान्तके पूर्व यूरोपका दौरा रद कर दिया था। जमनालालजीको तीर्थाटनके लिए अवश्य जाना चाहिए। जो मगनलालने छोड़ा है मैं उसके योग्य बन सकूँ ।

बापू

अंग्रेजी (एस० एन० १४६८३) की माइक्रोफिल्मसे ।

३१७. मेरा सबसे अच्छा सहयोगी चला गया

जिसे मैंने अपने सर्वस्वका एकमात्र वारिस चुना था वह अब न रहा। मेरे एक चाचाके पोते मगनलाल खुशालचन्द गांधी मेरे कामोंमें सन् १९०४ से मेरे साथ थे। मगनलालके पिताने अपने सभी पुत्रोंको देशके काममें समर्पित कर दिया है। इस महीनेके शुरूमें मगनलाल सेठ जमनालालजी तथा दूसरे मित्रोंके साथ बंगाल गये थे। जब वह बिहारमें अपना कर्तव्य पालन कर रहे थे उन्हें तीव्र ज्वर हो आया । नौ दिनकी बीमारीके बाद ब्रजकिशोर प्रसादकी देखरेखमें हिफाजतसे रहते हुए प्रेम और डाक्टरीके विज्ञानके द्वारा लगनसे जितनी सेवा सम्भव थी सभी कुछ होनेपर भी वे चल बसे ।

मगनलाल गांधी मेरे साथ सन् १९०३ में कुछ धन कमा सकनेकी आशासे दक्षिण आफ्रिका गये थे। मगर उन्हें दुकान चलाते हुए पूरा साल भर भी न हुआ होगा कि स्वेच्छापूर्वक गरीबी अपनानेके लिए मेरी अचानक लगाई गई पुकारको सुनकर फीनिक्स आश्रममें आकर शामिल हो गये और इस तरह मेरे साथ आ जानेके बाद फिर कभी उनका मन विचलित नहीं हुआ और न कभी उनसे कोई चूक हुई। अगर उन्होंने स्वदेश सेवामें अपनेको अर्पित न कर दिया होता, तो अपनी असंदिग्ध योग्यताओं और अपने अथक अध्यवसायके बलपर आज वे व्यापारियोंके सिरताज होते। छापाखानेके काममें लगा दिये जानेपर उन्होंने शीघ्र ही मुद्रण-कलाके सभी रहस्योंको आसानीसे जान-समझ लिया। हालांकि इससे पहले उन्होंने किसी औजार

  1. यह च० राजगोपालाचारीके निम्न तारके उत्तर में भेजा गया था जमनालालजी पटना गये हैं। कल आयेंगे। आप मेरे इस सुझावपर नाराज हो सकते हैं लेकिन आपसे इस शोकपूर्ण वातावरणको जमनालालजीके हाथमें छोड़कर अभी यूरोप जानेका सानुनय आग्रह करता हूँ। जमनालालजीको अपनी तीर्थपात्रा स्थगित कर आश्रम में रहना चाहिए। मारटालुमिनियम' तार पतेपर जवाब दें ।