पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/३५

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३.पुनः मिस मेयोके बारे में

मिस मेयो चूंकि यह जानती हैं कि भारतमें हम लोग जो-कुछ लिखते हैं वह ज्यादासे-ज्यादा सौ दो सौ अमेरिकी लोगों तक पहुँच सकता है और वे जो-कुछ लिखती हैं वह हजारों अमेरीकियों तक पहुँचता है। इसलिए जाहिर है कि दूसरे लोगोंने उनकी बातका खण्डन करनेके उद्देश्यसे जो लेख लिखे हैं अथवा भाषण दिये हैं, उन लेखों और भाषणोंमें से वे गलत या अधूरे, जब और जैसा उनको अनुकूल जान पड़े, उद्धरण दे सकती है अथवा उन्हें तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर सकती हैं; वे इसीका फायदा उठा रही हैं। उन्होंने 'लिबर्टी 'में लिखे अपने एक लेखमें मेरा उल्लेख करके फिर मुझे सम्मान दिया है और मैंने उनके संग्रह 'मदर इंडिया'के सम्बन्धमें जो-कुछ लिखा है, उसका खण्डन करनेका प्रयत्न किया है। मैं समझता हूँ कि उन्हें ऐसा करनेकी जरूरत इसलिए जान पड़ी कि सुसंस्कृत अमेरिकी लोगों में मेरी कुछ साख है; उन्होंने सोचा, कहीं मेरे लेखसे उनकी राय पर असर न पड़ जाये। किन्तु अपने 'लिबर्टी 'में लिखे लेखमें तो उन्होंने हद ही कर दी है। उन्होंने मेरे सचिवोंका उल्लेख करके असावधान पाठकोंको धोखा देनेका चतुराईसे प्रयत्न किया है। उनकी इस बातका कि मेरे दो सचिव हैं, (हमेशा ही दो होते हैं अथवा नहीं इससे कोई प्रयोजन नहीं) मैंने जो खण्डन किया है, उससे यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि मिस मेयोने यदि जानबूझ कर सत्यको विकृत नहीं किया है, तो फिर वे कमसे-कम असावधान लेखिका अवश्य हैं। किन्तु उन्होंने जिस तरहसे सचिवोंका उल्लेख किया है, उससे पाठकोंके मनपर यह छाप पड़ती है कि मेरे पास हमेशा दो सचिव रहते हैं। इस बात पर उनका जोर देना कि वह सन्देश जिसे उन्होंने मेरा सन्देश बताया है मैंने ही उन्हें दिया था, सचको पूरी तरह दबाना है। जान पड़ता है उन्होंने ऐसा सोचा होगा कि मेरे पास उनकी और मेरी भेंटके संशोधित विवरणकी प्रति नहीं होगी। उनकी बदकिस्मती कि जिस सन्देशमें चरखेकी गूंजका उल्लेख है, संयोगवश उसकी टीपोंकी एक नकल मेरे पास है। समूचा सन्देश इस रूपमें है :

"अमेरिकाको मेरा एकमात्र सन्देश चरखेकी गूंज ही है। मुझे अमेरिका से जो पत्र और अखबारोंकी कतरनें मिली हैं, उनसे प्रकट होता है कि वहाँ दो तरह के लोग हैं। एक तरहके लोग वे हैं जो अहिंसात्मक असहयोगसे निकलनेवाले परिणामों के सम्बन्ध में बहुत बढ़ा-चढ़ा कर सोचते हैं और दूसरे वे लोग हैं जो इन परिणामों के सम्बन्ध में न केवल बहुत घटाकर सोचते हैं, बल्कि इस आन्दोलन से सम्बन्धित लोगों पर तरह-तरहके इरादे रखनेका आरोप भी लगाते हैं। आप किसी भी दिशामें अति न करें। इसलिए यदि कुछ जिज्ञासु अमेरिकी इस आन्दोलनका

१. देखिए खण्ड ३४ पृष्ठ ५८४-९४।