पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/७२

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३८. पत्र : एलिस मैके केलीको

आश्रम
साबरमती
२१फरवरी,१९२८

प्रिय बहन,

आपने मुझे जो कुछ बताया है और 'मदर इंडिया' के विषैले प्रभावके बारेमें मैं जो कुछ पढ़ता हूँ उससे मुझे दुःख होता है। लेकिन मैं यह सोचकर तसल्ली कर लेता हूँ कि असत्यपर सत्यकी सदैव विजय होती है और वह पुस्तक असत्यसे भरी

मैं जानता हूँ कि श्री धनगोपाल मुखर्जी अच्छा काम कर रहे हैं।

मैंने आपका पाँच डालरका चेक 'यंग इंडिया' के प्रबन्धकको भेज दिया है। मैं आशा करता हूँ कि अब आपको अपनी प्रति मिल जाती होगी ।

हृदयसे आपका,

श्रीमती एलिस मैके केली
१३०, ईस्ट ४०वीं स्ट्रीट
न्यूयार्क सिटी

अंग्रेजी (एस० एन० १४२४४) की फोटो-नकलसे ।

३९. पत्र : रोहिणी पूर्वयाको

आश्रम
साबरमती
२१ फरवरी, १९२८

कुमारी रोहिणी पूवैया,

आपके पत्रसे अप्रत्याशित आनन्द मिला। मुझे हिदायत है कि काम न करूँ और जहाँतक हो सके बिस्तरपर ही लेटा रहूँ; इसलिए मुझे सिवाय इसके बोलकर भी अधिक नहीं लिखवाना चाहिए कि मैंने अक्सर आपके बारेमें सोचा है और यह जानना चाहा है कि आप क्या कर रही हैं। मैं ऐसी आशा जरूर करता हूँ कि आप निकट भविष्यमें कुछ उपयुक्त काम पा जायेंगी। मुझे अपनी गतिविधियोंकी जानकारी अवश्य देती रहिए; तब मैं आपके पिछले सभी अपराध क्षमा कर दूंगा। सीताने