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४२. पत्र : देवी वेस्टको

आश्रम
साबरमती
२२फरवरी,१९२८

अपने पत्रमें तुमने जिस कार्डका उल्लेख किया है, वह अब मिल नहीं रहा है। इसलिए तुम्हारे पास जो कार्ड है, उसे जरूर भेज देना । मुझे खुशी है कि अब तुम्हें 'इंडियन ओपिनियन' नियमित रूपसे मिल रहा है। रामदासका अबसे करीब एक महीना पहले विवाह हो गया था। वह और उसकी पत्नी कल राजकोटके लिए वाना हो रहे हैं। वह वहाँ स्थायी रूपसे रहनेकी सोच रहा है । 'यंग इंडिया' के पृष्ठोंमें तुमने विवाहका ब्यौरा जरूर पढ़ा होगा। वह बड़ी ही सादगीके साथ सम्पन्न हुआ था। उससे ज्यादा सादगीसे हो ही नहीं सकता था।

मुझे खुद ऐसा लगता है कि मैं बिलकुल ठीक हूँ, लेकिन चूंकि डाक्टर चिन्तित हैं इसलिए उन्होंने मुझे पूरी तरहसे आराम करनेकी हिदायत दे दी है। इसलिए मुझे लम्बा पत्र बोलकर भी नहीं लिखवाना चाहिए। देवदास यहाँ है । वह शीघ्र ही दिल्ली जा रहा है। छगनलाल उड़ीसाके गरीब लोगोंकी सेवा करनेके लिए वहाँ गया है।

हृदयसे तुम्हारा,

कुमारी देवी वेस्ट
२३जाॅर्ज स्ट्रीट
लाउथ लाइन्स
इंग्लैड

अंग्रेजी (एस० एन० १४२४६) की फोटो-नकलसे ।

१. देखिए खण्ड ३५, १४ ५१८-१९।