पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

४५. पत्र : प्र० च० घोषको

आश्रम
साबरमती
२२ फरवरी, १९२८

प्रिय प्रफुल्ल बाबू,

बिस्तरेपर पड़े-पड़े मैं आपके पत्रको आज ही हाथ में ले पाया हूँ, वैसे सचमुच तो मैं फिलहाल बिस्तरपर नहीं हूँ, वरन् चरखा चला रहा हूँ, केवल कातने और प्रार्थना करनेके लिए मुझे बिस्तर छोड़नेकी इजाजत है। कातते समय या बिस्तरपर लेटे-लेटे मैं थोड़े-से पत्र बोलकर लिखवा देता हूँ। इस तरह मैं बचे हुए पत्रोंके जवाब दे देनेकी कोशिश कर रहा हूँ। इसी क्रममें आपके पत्रकी बारी आ गई।

समझौतेके' बारेमें मुझे खुशी है। मैं आशा करता हूँ कि अब और हिंसापूर्ण घटनाएँ नहीं होंगी ।

कांग्रेसके सम्बन्धमें आप जो कुछ कहते हैं, वह बहुत हदतक सही है। और जो लोग रचनात्मक कार्य में और अहिंसामें विश्वास रखते हैं, उनको शान्तिपूर्ण गौरव-- युक्त प्रतिशोधरहित कार्यके द्वारा, सिर्फ उसीके द्वारा वाचालता और धोखेबाजियोंका प्रतिकार करना है। मैं कांग्रेसकी मूर्ति-पूजा करनेको नहीं कहता, लेकिन देशके सबसे पुराने राजनीतिक संगठनके बारेमें हमारा उपयुक्त आदर और कोमलतम भाव-- नाओंके साथ विचार व्यक्त करना उचित है। सभी सार्वजनिक संस्थाओं में उतार-- चढ़ाव आते रहते हैं। क्या हाउस ऑफ कॉमन्समें कोई मक्कारियाँ और ऊल-जलूल चीजें नहीं हैं ? मैं जानता हूँ कि वह हमारे लिये कोई आदर्श नहीं है, लेकिन अपने गठनको देखते हुए ब्रिटिश राष्ट्रके हाउस ऑफ कॉमन्सकी निन्दा करना गलत होगा। जबतक अंग्रेज, हाउस ऑफ कॉमन्स जिस सभ्यताका प्रतिनिधित्व करता है उसे ही बेकार न समझने लगें, तबतक तो वे उसमें केवल जहाँ कहीं हो सके वहाँ कुछ सुधार ही कर सकते हैं। खुद मैं अब भी उस सिद्धान्तसे आबद्ध हूँ, जिसका प्रतिनिधित्व कांग्रेस करती है और इसीलिए जहाँ मैं कुछ काम नहीं कर सकता, वहाँ सामान्यतया चुप रहता हूँ और मैं आपसे तथा उन सहयोगियोंसे भी जो अहिंसात्मक असहयोगी हैं, ऐसा

१. यह हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच कोमिल्ला में हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप अदालतों में चल रहे सभी मामले वापस ले लिये गये थे।

२. प्र० च० घोषने १९ जनवरीके अपने पत्र में लिखा था : कांग्रेसमें ऊल-जलूलपन फैलता जा रहा है,... कांग्रेस अध्यक्ष और कार्यकारी महामन्त्री इस बातके दो सबसे अच्छे उदाहरण हैं कि हम बातूनी लोग हैं ... खुद मेरा विश्वास कांग्रेससे पूरी तरह उठ गया है; मैं उसे धोखाधड़ीसे भरी हुई बातें बनानेवालोंका आश्रयस्थान मानने लगा हूँ ।