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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ही करनेको कहता हूँ। हमें गलती करनेवाले सहयोगियों और कांग्रेसियोंके प्रति भी अहिंसात्मक रहना है।

हृदयसे आपका,

डा० प्रफुल्लचन्द्र घोष
अभय आश्रम
कोमिल्ला

अंग्रेजी (एस० एन० १३०४६) की फोटो-नकलसे ।

४६. लड़ना पड़े तो ईमानदारीसे लड़ें

नीचे उपर्युक्त शीर्षकपर चर्चा की गई है। इस अधिकृत अनुवादमें 'निदान धर्मयुद्ध करो"शीर्षकका अनुवाद 'कमसे-कम धर्मयुद्ध करो' के बजाय मेरी रायसे 'लड़ना पड़े तो ईमानादारीसे लड़ें'अधिक सही है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २३-२-१९२८

४७. पुरानी याद ताजा हो गई

अभी--अभी पूनामें श्रीयुत शंकरराव देव तथा श्री वी० बी० हारोलिकरको दफा १२४--ए के अन्तर्गत अपराधी करार दिया गया और उन्हें दो सालकी सख्त कैद की सजा दी गई। उनपर दो आरोप थे--एक तो सम्राट्के विरुद्ध लड़ाई छेड़नेका (दफा १२१) और दूसरा ब्रिटिश भारतमें कानूनके मुताबिक स्थापित सरकारके प्रति असन्तोष जगानेका प्रयत्न करनेका (दफा १२४-ए) । श्रीयुत देवने 'स्वराज्य' के सम्पादककी हैसियतसे वह लेख लिखा था जिसकी विषयवस्तु ही उनका जुर्म था और श्रीयुत हारोलिकर 'स्वराज्य' के प्रकाशक थे। मैं अपराध माने गये उस लेखका अधिकृत अनुवाद अन्यत्र छाप रहा हूँ, जिसे अभियोग पक्षने अदालतके सामने पेश किया था। यद्यपि उसमें और भी सुधार किये जा सकते थे, किन्तु उसे मूल लेखका गलत अनुवाद नहीं कहा जा सकता।

दादा साहब करन्दीकर और दूसरे नामी वकीलोंने बिना कुछ फीस लिये स्वेच्छासे वकालत करनेकी इच्छा व्यक्त की, किन्तु अभियुक्तोंको वकीलका बचाव मंजूर नहीं था।

१. यह लेख १५-९-१९२७ के मराठीके स्वराज्य में प्रकाशित हुआ था, जिसका अनुवाद यंग इंडिया में छापा गया था। गांधीजीकी टिप्पणियोंके लिए देखिए अगला शोर्षक ।

२. देखिए पिछला शीर्षक।