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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

लोग जब पागल हो जाते हैं, इसी तरहके काम करने लगते हैं। पर यदि हम इतना ही करें कि स्वयंको उत्तेजित न होने दें तो हम किसी दिन सचमुच कुछ हासिल कर लेंगे।

[अंग्रेजीसे]

हिन्दू, ५-१०-१९२८

 

३६६. पत्र: मीराबहनको

साबरमती
३ अक्टूबर, १९२८

चि॰ मीरा,

तुम्हारा तार मिला। पोस्टकार्ड भी मिल गया था। तुमको मेरा पत्र मिला या नहीं? मुझे बड़ी खुशी हुई कि तुम 'खूब चंगी हूँ' ऐसा तार भेज सकी। मैं इस बारे में थोड़ा चिन्तित था। कान्ति पारेखके बारेमें प्रभुदास तुमको सब-कुछ बता देगा। उसे बतला देना कि मुझे उसका पत्र मिल गया है। मैं आज तो उत्तर नहीं दे सकूँगा। उद्योग मन्दिर वाला प्रस्ताव बैठकमें स्वीकृत तो हो गया, पर अभी काफी कुछ करनेको पड़ा है।

सस्नेह।

बापू

श्रीमती मीराबाई
मार्फत – प्रभुदास गांधी
शैल खादी-शाला
अलमोड़ा (सं॰ प्रा॰)

अंग्रेजी (सी॰ डब्ल्यू॰ ५३१०) से। सौजन्य: मीराबहन; जी॰ एन॰ ८२०० से भी।