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पत्र: एफ॰ बी॰ फिशरको

सकते हैं, इसपर कोई रोक नहीं है और आप इसके एवजमें जो भी राशि मुझे भेजेंगे वह किसी सार्वजनिक कार्य पर ही खर्च की जायेगी।

हृदयसे आपका,

मैसर्स स्वेन्स्का किर्कान्स
डायकॉनिस्टिरेलिसस
हॉकफोरलाग, स्टॉकहोम ७ (स्वीडन)

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १२७८३) की फोटो-नकलसे।

 

४५०. पत्र: एफ॰ बी॰ फिशरको[१]

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
२६ अक्टूबर, १९२८

प्रिय मित्र,

हिंघमसे आपका पत्र मिल गया था। ‘अंडरस्टैंडिंग इंडिया’ नामक पुस्तक भी मिल गई है। कह नहीं सकता कि समय कब मिल पायेगा, पर समय मिलते ही मैं श्रीमती विलियम्सकी पुस्तक पढ़ जाऊँगा।

आपकी तरह मुझे भी आशा है कि अगले वर्ष किसी समय हमारी मुलाकात जरूर होगी।

हृदयसे आपका,

रेवरेंड एफ॰ बी॰ फिशर
मेथॉडिस्ट एपिस्कोपल चर्च
३, मिडिलटन स्ट्रीट, कलकत्ता

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५०९) की फोटो-नकलसे।

 
  1. फिशरके ७ सितम्बरके पत्रके उत्तरमें, जिसमें लिखा था: “मदर इंडिया के प्रकाशनसे अमेरिका में खलबली मच गई है। समझमें नहीं आ रहा है कि परिस्थितिको सँभाला कैसे जाये।... अब एक और पुस्तक प्रकाशित होने जा रही है―गर्ट्रूड मार्विन विलियम्सकी पुस्तक अंडरस्टैंडिंग इंडिया। मैं समझता हूँ कि उससे कुमारी मेथो द्वारा पेश की गई गलत तसवीरको कई मानीमें ठीक करने में मदद मिलेगी।...”
३७-२७