पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/४८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४४८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

बारडोली और वालोडकी जनताकी इस शिकायतकी जाँच करना और रिपोर्ट देना कि

(क) हालमें की गई लगान-वृद्धि भू-राजस्व संहिताकी शर्तोंके अनुसार उचित नहीं है;

(ख) जनताको सुलभ रिपोर्टोंमें ऐसे पर्याप्त तथ्य नहीं हैं जिनके आधारपर लगान-वृद्धिका औचित्य सिद्ध हो सके और कुछ तथ्य गलत भी हैं; और यदि जनताकी शिकायत सही पाई जाये तो यह तय करना कि अगर पुरानी जमाबन्दीमें कोई घटा-बढ़ी करनी है तो कितनी करनी है।

जाँच पूरी, खुली और स्वतन्त्र होनी है, इसलिए जनताको कानूनी सलाहकारों-सहित अपने अन्य प्रतिनिधियोंकी सहायतासे गवाही देने और गवाहीकी जाँच करवानेकी छूट होगी।

विधान परिषद्में बारडोली ताल्लुके और सूरत जिलेका प्रतिनिधित्व करनेवाले सदस्यों तथा माननीय राजस्व सदस्यके बीच आगे निम्नलिखित पत्र-व्यवहार हुआ:

पूना
७ अगस्त, १९२८

सेवा में
माननीय राजस्व सदस्य
महोदय,

अब बारडोली-समस्याके असली मुद्देका सन्तोषजनक निबटारा तो हो ही गया है, इसलिए हमें यह आशा और विश्वास है कि सरकार

(क) सभी सत्याग्रही कैदियोंको छोड़ देगी,

(ख) जब्त की गई सभी जमीनें वापस कर देगी,

(ग) त्यागपत्र देनेवाले सभी तलाटियों और पटेलोंको बहाल कर लेगी।

हृदयसे आपके,

ए॰ एम॰ के॰ देहलवी
दाउदखाँ सालेभाई तैयबजी
भासाहेब (केरवाडाके ठाकुर)
भीमभाई आर॰ नाइक
एच॰ बी॰ शिवदासानी
जे॰ बी॰ देसाई
एम॰ के॰ दीक्षित

माननीय राजस्व सदस्यने ७ अगस्त, १९२८ को विधान परिषदके उपर्युक्त सदस्योंको निम्नलिखित पत्र भेजा: