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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

(१ जुलाई से ३१ अक्टूबर, १९२८)

१ जुलाई: गांधीजी साबरमती आश्रम, अहमदाबादमें।
६ जुलाई: गांधीजी ने ‘हिन्दू’ की स्वर्णजयन्ती पर सन्देश भेजा।
१३ जुलाई: बारबरा बाउरकी इस प्रार्थना पर कि आप मेरी मृत माताको पुनरुज्जीवित कर दें, गांधीजी ने लिखा “मैं केवल एक सामान्य मर्त्य प्राणी हूँ ... अन्य मानव-प्राणियोंकी ही तरह ... मुझमें कोई अलौकिक शक्ति नहीं है।”
१८ जुलाई: सूरत-परिषद् हुई, जिसमें बारडोलीके किसानोंके प्रतिनिधियोंकी हैसियत से वल्लभभाई पटेल, अब्बास तैयबजी ने सरकारी तौरपर तथ्योंका अनुमान लगानेमें गलती होनेके आरोपकी जाँच करानेके लिए कुछ शर्तों पर बम्बईके गवर्नरसे बातचीत की।
१९ जुलाई: गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ में प्रकाशित ‘असहयोग या सविनय प्रतिरोध’ लेखमें लिखा: “मेरा उद्देश्य तो स्वराज्य-प्राप्तिका लक्ष्य सामने रखकर चलने-वाले असहयोग और किसी शिकायतको दूर करने के उद्देश्य से किये गये वैसे सविनय प्रतिरोधका भेद स्पष्ट करना है जैसा कि बारडोली में चल रहा है।”
२० जुलाई: बारडोलीके सम्बन्धमें एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिसे भेंट।
२२ जुलाई: ‘नवजीवन’ में प्रकाशित लेख ‘सरकारकी कुबुद्धि’ में गांधीजी ने बारडोली समझौतेकी न्यूनतम शर्तों पर विचार किया।
२६ जुलाई: बारडोलीके सम्बन्धमें गवर्नरके भाषणके उत्तरमें गांधीजी द्वारा दिया गया वक्तव्य ‘यंग इंडिया’ में प्रकाशित हुआ।
२ अगस्त: गांधीजी बारडोली पहुँचे।
४ अगस्त: सरभोंणमें पटेलों, तलाटियों तथा सरभोंण इलाकेके २५ गाँवोंके प्रति-निधियोंके बीच भाषण दिया।
५ अगस्त: रायममें अनुशासनके बारेमें भाषण दिया।
६ अगस्त: गांधीजी ने पूनामें बारडोली-समझौते पर बम्बई सरकार व बारडोलीकी जनता, दोनोंको बधाई दी।
११ अगस्त: वालोडमें सत्याग्रह-शास्त्र पर भाषण दिया।
१२ अगस्त: बारडोली में स्वयंसेवकोंके बीच भाषण दिया। बारडोली-विजयके उपलक्षमें मनाये गये समारोहके अवसर पर सूरतमें भाषण दिया।
१३ अगस्त: गांधीजी साबरमती पहुँचे।