पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/६१

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३२. पत्र: ई॰ सी॰ डेविकको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
६ जुलाई, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका स्नेहपूर्ण पत्र मिला। मगनलाल गांधीके निधनके कारण मेरी सारी योजनाएँ उलट-पलट गई हैं, इसलिए निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता कि मैसूरमें संघकी सभामें शामिल हो पाऊँगा या नहीं। लेकिन मैं कोई ऐसा अन्तिम निर्णय नहीं करने जा रहा हूँ कि वहाँ आऊँगा ही नहीं।

हृदयसे आपका,

रेवरेण्ड ई॰ सी॰ डेविक
२, इन्फैंट्री रोड
बंगलोर

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३४५५) की माइक्रोफिल्मसे।

 

३३. पत्र: पी॰ रामचन्द्र रावको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
६ जुलाई, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। आप १४ जूनके 'यंग इंडिया' में आश्रमका संविधान और नियमावलि[१] देख सकते हैं। मैं तो चाहूँगा कि आपकी लड़की आश्रममें रहे, लेकिन मुझे बहुत आशंका है कि यहाँके अपेक्षाकृत कठिन जीवनको वह बरदाश्त नहीं कर पायेगी। इसके अलावा हिन्दी न जाननेके कारण भी उसे बड़ी असुविधा होगी। यहाँ उसे अंग्रेजी या कन्नड़में बातचीत करनेवाला कोई नहीं मिलेगा। फिर आश्रममें वह साहित्यिक वातावरण भी नहीं है, जिसकी अभीप्सा आपकी लड़कीको शायद हो सकती हो। यहाँ तो श्रमका वातावरण बनानेके लिए विशेष रूपसे प्रयत्न किया जाता है। और अन्तमें, आप आश्रम नियमावलिमें देखेंगे कि चूँकि इधर हमने यहाँ

 

  1. देखिए खण्ड ३६, पृष्ठ ४१९-३१।