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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/३५३

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२४८. सम्राट चिरायु हों!

हम महामहिम सम्राट्को उनकी वर्षगाँठपर आदर और भक्तिपूर्वक अपनी बधाई अर्पित करते हैं। महामहिमने पिछले बुधवारको अपना ६३ वाँ वर्ष पूरा किया और साम्राज्यके एक सिरेसे दूसरे सिरेतक भगवान्से प्रार्थना की गई कि उनके जीवनमें इस दिनके अनेकानेक सुखमय प्रत्यावर्तन हों। यूरोपके तमाम राजाओंमें से कोई ऐसा नहीं है जो सम्राट् एडवर्डकी तरह आदर्शकी पूर्ति करता हो। एक वैधानिक राजतंत्रकी मर्यादाओंको मानते हुए भी उन्होंने साबित कर दिया है कि वे अपनी कुशलता और सज्जनतासे साम्राज्यकी जबरदस्त सेवा कर सकते हैं। फ्रान्समें उनका कार्य, पोपसे उनकी भेंट, और कैंसरसे उनकी मुलाकात — इन सबसे शान्तिके पक्षको बल मिला है। यह एक खुला रहस्य है कि बोअर युद्धकी समाप्ति कराने में महामहिमका बड़ा हाथ था। अपने प्रजाजनोंके प्रति उनकी उदारता और उनकी सहानुभूति सुप्रसिद्ध है। उन्होंने हमेशा भारतीय राष्ट्रके कल्याणका बड़ा खयाल रखा है। और जब वे युवराज (प्रिंस ऑफ वेल्स) थे, तब अपनी भारत यात्रासे उन्होंने अपने प्रति भारतीय राष्ट्रका व्यक्तिगत आदरभाव प्राप्त किया था। सर्वशक्तिमान परमेश्वरसे हमारी विनीत प्रार्थना है कि वह साम्राज्यके लिए महामहिमको चिरायु करें।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १२-११-१९०४

२४९. ऑरेंज रिवर उपनिवेशमें ब्रिटिश भारतीय

ऑरेंज रिवर उपनिवेशमें सरकार और लोग दोनों बराबर प्रतिक्रियावादी और भारतीय विरोधी नीतिका अनुसरण कर रहे हैं। अन्यत्र हम कुछ उद्धरण छाप रहे हैं जिनसे जाहिर होता है कि भारतीय किस तरह खदेड़े जा रहे हैं। सरकार यह आग्रह करके सन्तुष्ट नहीं मालूम होती कि उपनिवेशमें बसनेका इच्छुक प्रत्येक भारतीय यह घोषणा करे कि जबतक वह वहाँ रहेगा तबतक सदा किसी-न-किसीकी नौकरीमें रहेगा। इसलिए अब उसका आग्रह यह है कि भारतीय जब अपना मालिक या कामका स्वरूप बदले तब हर बार इसकी नई घोषणा करे। और फिर भी यह बिलकुल अधिकारियोंकी मर्जीपर निर्भर रहेगा कि वह उपनिवेशमें ठहरे या नहीं। इस तरहकी परिस्थिति तुरन्त खतम होनी चाहिए या सुधरनी चाहिए। हमने उपनिवेशमें एशियाइयोंके विरुद्ध कड़े कानूनोंकी तरफ प्रायः ध्यान दिलाया है। परन्तु हमने अभीतक तो कोई राहत मिलती देखी नहीं है। क्या हम समझें कि ऑरेंज रिवर उपनिवेशमें ब्रिटिश भारतीयोंके प्रति यह अपमानजनक व्यवहार हमेशा होता रहेगा और भारत-कार्यालय चुपचाप बैठा रहेगा?

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १२-११-१९०४ ४-२१