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२९४. क्या काफिर महसूस करता है ?

जोहानिसबर्ग की नगर परिषद कुछ दिनोंसे वतनी साइकिलवालोंके प्रश्नपर विचार कर रही है । पिछले सप्ताह निर्माण समितिने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी और यह सलाह दी थी कि एक ऐसा उपनियम मंजूर किया जाये जिसके अनुसार “साइकिलका परवाना रखनेवाला और नगरपालिका क्षेत्र में साइकिल की सवारी करनेवाला प्रत्येक वतनी अपनी बाई भुजामें एक नम्बर पड़ा हुआ बिल्ला लगाये, जो साफ तौरसे दिखाई दे । यह बिल्ला उसे परवानेके साथ दिया जाये।" जोहानिसबर्ग जैसे एक सर्वसमाजी नगरमें परिषदका भारी बहुमतसे ऐसा कड़ा उपनियम पास करना दक्षिण आफ्रिकामें रंग-विद्वेषकी भावना प्रबल होनेपर भी हमारे लिए दुःखमय आश्चर्य की बात है। श्री लंगरमानने उपनियमका जोरदार समर्थन किया और श्री मैकी निवेन और श्री क्विनने हलका-सा विरोध । श्री लैंगरमानने इस बिनापर उपनियमको उचित बताया कि उन्हें वतनी और गोरे साइकिल सवारोंमें भेद करना ही होगा। उन्होंने कहा- -- "बिल्ला सामनेकी ओर होना चाहिए। वर्तानियों और गोरोंके बीच पहचानके लिए चिह्न रखना बिलकुल जरूरी है । स्वभावतः इन शब्दोंसे कुछ हँसी भी हुई; क्योंकि श्री लंगरमानके विपरीत, दूसरे सदस्य वतनियोंको बिल्लेके बिना ही गोरोंसे अलग पहचान लेनेमें पूर्णतः समर्थ थे । हमारे खयालसे श्री लैंगरमान इस कहावतकी सचाई सिद्ध करते हैं कि जिन्होंने अत्याचार सहे हैं। वे उनसे बचनेके बाद अत्याचार पीड़ितोंके प्रति सहानुभूति रखनेके बजाय दूसरोंको उत्पीड़न करनेमें प्रसन्नता अनुभव करते हैं । श्री लैंगरमान रूसमें अपने सहधर्मियोंपर होनेवाले अत्याचारोंका विरोध करनेमें कभी शिथिलता नहीं दिखाते। फिर क्या वतनी उनसे यह सवाल नहीं पूछ सकते : क्या हमारे कोई भावनाएँ नहीं हैं ? फिर भी हमें तो श्री लैंगरमानके विचारोंकी अपेक्षा नगर परिषद के बहुसंख्यक सदस्योंके द्वारा प्रकट किये गये सामान्य रुखकी अधिक चिन्ता है । नगर परिषदके प्रति पूरा आदर रखते हुए हम कहते हैं कि परिषदकी बैठकमें जो भाषण दिये गये उनकी ध्वनि अत्यन्त निन्द्य थी। उससे श्री निवेन, क्विन, रॉकी और पिमका अल्पमत और भी अधिक सम्माननीय सिद्ध होता है। उनमें अपना विश्वास व्यक्त करनेका साहस था और उन्होंने अनावश्यक और दुराग्रहपूर्ण अपमानसे वतनियोंकी रक्षा करनेमें आगा-पीछा नहीं किया। आम तौरपर हमारी इच्छा ऐसी बातोंकी मीमांसा करनेकी नहीं रहती, जो इस पत्रके क्षेत्र के अन्दर खास तौरसे नहीं आतीं । परन्तु परिषदकी कार्रवाई हमारे खयालसे इतनी अपयश- जनक है कि अगर हम दक्षिण आफ्रिकाके समाजके हितमें अपना विनम्र विरोध व्यक्त न करें तो हम अपने कर्त्तव्यसे च्युत हो जायेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ४-२-१९०५