पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/५५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५१३
पत्र : "स्टार" को


ऊपरकी बात किसने लिखी होगी इसके बारेमें मनमें तनिक भी तर्क-वितर्क न करें। इससे किसीके ऊपर नाराज भी न हों। बल्कि जिसने लिखा है उसने हित-भावनासे लिखा है। यह मानकर यदि कहीं खराबी सुधारने योग्य हो तो सुधार लें अथवा उस शिकायत के बारेमें आप अपना फर्ज अदा करते ही हैं, यह समझकर बेफिक्र रहें।

श्री नूरुद्दीनका पत्र फिर आया है। यदि इस रुक्केके सम्बन्धमें कुछ दावा न रहा हो, तो मैं इसे दे देना ठीक मानता हूँ।

मो॰ क॰ गांधीके सलाम

गांधीजी के स्वाक्षरोंमें गुजरातीसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), सं॰ ४४९।

४३२. पत्र : "स्टार" को

जोहानिसबर्ग
जून २७, १९०५

सेवामें
सम्पादक
स्टार
महोदय,

अन्तः उपनिवेशीय परिषदकी बैठकमें श्री लवडेने जो कुछ कहा था उसके सम्बन्धमें मैंने आपको एक पत्र लिखा था। उसपर आपके पाॅचेफस्ट्रमके संवाददाताने कुछ बातें कही हैं। आशा है, आप मुझे अपने सौजन्यका लाभ उठाकर उनका उत्तर देनेका अवसर प्रदान करेंगे। आपके संवाददाताका कहना है कि मुझे "भारतीयोंके, विशेषतः निचले वर्गके भारतीयोंके धारा प्रवाह चले आनेका दुःख है।" मुझे अपने ऐसे किसी दुःख प्रकाशनकी खबर नहीं है; और इसका सीधा-सादा कारण यह है कि मैंने पॉचेफस्ट्रम या दूसरी किसी जगहमें भारतीयोंके धारा प्रवाह चले आनेकी बातपर कभी विश्वास नहीं किया। मैं बड़ी संख्या में ऐसे किसी भी प्रवेशकी बातको निश्चित जानकारीके बलपर, अमान्य करता हूँ। यह ठीक है कि पॉचेफस्ट्रम और दूसरी जगहों में भारतीय व्यापारियोंकी तादाद में कुछ बढ़ती हुई है; किन्तु भारतीय व्यापारियोंकी संख्यावृद्धिके मुकाबिलेमें गोरे व्यापारियोंकी संख्यावृद्धि प्रमाणहीन अनुपात में हुई है। क्रूगर्सडॉर्पकी सभासे सम्बन्धित अपने संपादकीय में आप कहते हैं कि, "निस्सन्देह पीटर्सबर्ग उन लोकप्रिय स्थानों में से है जहाँ पिछले कुछ दिनोंसे भारतीय व्यापारी आकर्षित होकर बसे" यह बात गलत सिद्ध करके दिखा दी गई है। तथ्य यह है कि युद्धके पहले पीटर्सबर्ग में भारतीय व्यापारी अच्छे अनुपातमें थे; किन्तु उसके बाद वे किसी बड़ी तादाद में वहाँ नहीं पहुँचे।

इस सम्बन्ध में मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय समाजने सुलह और समझौतेकी जो प्रवृत्ति सदा दिखाई है उसका पर्याप्त श्रेय उसे कभी नहीं मिला। तरह-तरहके असम्भव उपाय सुझाये जाते हैं; केवल उन दो अचूक उपायोंको अभीतक काममें नहीं लाया गया जो ब्रिटिश भारतीय संघ द्वारा सुझाये गये हैं। देशपर भारतीय "हमले" की सम्भावनाको रोकने के विचारसे केपके ढंगपर एक प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियमका सुझाव दिया गया है। केवल यहाँ ही नहीं, आस्ट्रेलिया, नेटाल और अन्य स्थानोंपर यह प्रयोग किया गया है और वह सफल हुआ है। ऐसा कहना निरर्थक है कि सीमापर कड़ी निगरानी नहीं रखी

४—३३