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४३८. पत्र : हाजी हबीबको
[जोहानिसबर्ग]
जून ३०, १९०५
श्री हाजी हबीब
पो॰ ऑ॰ बॉक्स ५७
प्रिटोरिया
श्री सेठ हाजी हबीब,
पो॰ ऑ॰ बॉक्स ५७
प्रिटोरिया
श्री सेठ हाजी हबीब,
आपको इस्माइल आमदके बारेमें जवाब देना भूल गया। उसके विषयमें जबतक श्री लांग स्वीकार नहीं कर लेते तबतक क्या हो सकता है? मैंने उनसे कहा है, कुछ निश्चित होने पर लिखूँगा। मुझे लगता है कि आपको उतावली करनेकी आवश्यकता नहीं है। तमस्सुक (बाँड) की जरूरत तुरन्त जान पड़े तो रुक्का पेश किये बिना तमस्सुक तैयार करा सकते हैं। बीमेवाला बीमा करेगा। वह अपना एजेंट मकान देखनेके लिए भेजेगा। अगर मकान कसौटीपर ठीक उतरेगा तो बीमा करेगा, नहीं तो नहीं। वह जिस एजेंटको भेजेगा उसके आने और जानेका खर्च आपको देना चाहिए। मेरे बिलका कुछ पैसा भेजेंगे तो आभारी होऊँगा। मुझे पैसेकी बहुत जरूरत है। सेठ हबीब मोटनसे भी कुछ भिजवा सकें तो आभार मानूँगा। मेरा सारा रुपया फीनिक्समें चला गया है और अब भी जाता है।
मो॰ क॰ गांधीके सलाम
- गांधीजीके हस्ताक्षर युक्त गुजराती पत्रसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), सं॰ ४९२।