यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
(१९०३ से १९०५)
११०३
नवम्बर १ : गांधीजीने दादाभाई नौरोजीको लिखा कि चुने हुए बाजार दूर और दुर्गम स्थानोंमें हैं।
नवम्बर १६ : साप्ताहिक पत्रमें दादाभाई नौरोजीको सूचना दी कि लॉर्ड मिलनरके १९०३ के खरीतेमें निर्धारित नीति कार्यान्वित नहीं की जा रही है।
दिसम्बर : भारतीय राष्ट्रीय महासभाके मद्रास अधिवेशनको लिखा कि नेटालकी गम्भीर स्थिति अनुभव की जानी चाहिए और भारतीयोंके कष्ट दूर करनेके प्रयत्न तत्परता और लगनसे किये जाने चाहिए।
दिसम्बर ११ : ब्रिटिश भारतीयोंकी विशाल सभा में समस्त वर्त्तमान परवानोंको संरक्षण देनेकी प्रार्थना की गई।
दिसम्बर १२ : गांधीजीने दादाभाई नौरोजीको बाजार सूचनामें सरकारके प्रस्तावित संशोधनके सम्बन्ध में तार दिया। इसमें यह सुझाव था कि कुछ भारतीय बाजारों या बस्तियों में व्यापार करनेकी बाध्यतासे मुक्त कर दिये जायें।
दिसम्बर १७ : प्रिटोरियाके असोसिएटेड चेम्बर्स ऑफ कॉमर्ससे बस्ती-कानूनमें संशोधनके सम्बन्धमें गम्भीरतापूर्वक विचार करनेकी अपील की गई।
९०४
जनवरी १८: ट्रान्सवाल विधान परिषदके उस प्रस्तावपर, जिसमें भारतीयोंके व्यापारिक परवानोंका नवीनीकरण सीमित करनेपर जोर दिया गया है, दादाभाई नौरोजीको पत्र लिखा।
फरवरी १२ : जोहानिसबर्ग के स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारीको भारतीय बस्तीमें गुंजाइशसे ज्यादा भीड़-भाड़ और गन्दी हालतके सम्बन्धमें पत्र लिखा और चेतावनी दी कि बस्तीमें भारी बीमारी फैलनेकी सम्भावना है।
फरवरी १५ (से पूर्व) : जोहानिसबर्ग के अस्वच्छ क्षेत्र में भारतीय बस्तीको देखा।
फरवरी १५ : जोहानिसबर्ग के स्वास्थ्य-चिकित्सा अधिकारीसे भारतीय बस्तीमें सफाईकी हालत में सुधारकी कार्रवाई तुरन्त करनेका अनुरोध किया।
फरवरी २० : स्वास्थ्य-चिकित्सा अधिकारीको अपने १५ फरवरीके पत्रमें अख्तियार किये गये रुखको दुहराते हुए फिर पत्र लिखा।
मार्च १ : स्वास्थ्य-चिकित्सा अधिकारीको सूचित किया कि जोहानिसबर्ग में प्लेग आरम्भ हो गया है।
मार्च १८ : अधिकारियोंको खबर दी कि बस्तीमें कुछ "मृत या मरणासन्न" भारतीय लाकर "डाले" जा रहे हैं। डॉ॰ गॉडफ्रे डॉ॰ पेरेरा और एक स्वास्थ्य निरीक्षकके साथ सन्दिग्ध क्षेत्रका निरीक्षण किया।