मुख्य प्रवासी-प्रतिबन्धक अधिकारी, श्री हैरी स्मिथका ध्यान हम एक भावानुवादकी ओर आकृष्ट कर रहे हैं जो हमने दूसरे स्तम्भमें प्रकाशित किया है। इसमें उन कठिनाइयोंका उल्लेख है जो, कहा जाता है कि, भारतीय यात्रियोंको ‘सोमाली' जहाजपर भुगतनी पड़ी हैं। यदि इन आरोपोंमें कुछ भी सचाई है तो ये बड़ी गम्भीर स्थितिके द्योतक हैं। हमारे सामने जो शिकायत है, उसपर शिकायत करनेवाले यात्रीने हस्ताक्षर किये हैं। इस शिकायतको स्वीकार करने और प्रकाशित करनेसे पहले हमने उससे कड़ी जिरह की थी। हम जानते हैं कि श्री हैरी स्मिथ उन यात्रियोंको, जो प्रवासी-अधिनियमसे प्रभावित हों, अनावश्यक कठि- नाइयोंसे बचानेके लिए उतने ही चिन्तित हैं जितने कि हम हैं। इसलिए हम निश्चयके साथ अनुभव करते हैं कि हमें उनका ध्यान केवल इस शिकायतकी ओर आकृष्ट कर देना चाहिये, और इसकी पूरी-पूरी तहकीकात हो जायेगी। हम यह उल्लेख कर देना चाहते हैं कि यह पहला ही अवसर नहीं है जब हमें इस प्रकारकी शिकायतें मिली है। परन्तु अभी तक हमने उनको छापना या शिकायत भेजनेवालोंको अपनी शिकायतें सम्बन्धित अधिकारियोंके पास भेजनेकी सलाह देनेके सिवा और कुछ करना उचित नहीं समझा। परन्तु इस बार हमें जो तथ्य ज्ञात हुए है वे इतनी अच्छी तरह सचाईके साथ रखे गये हैं कि उनकी ओर सार्वजनिक ध्यान आकृष्ट करना हम अपना कर्तव्य समझते हैं। प्रवासी-अधिकारियोंकी ओरसे इसके खण्डन, स्पष्टीकरण अथवा समर्थनमें कुछ आयेगा तो हम उसको भी इतने ही प्रमुख रूपसे सहर्ष प्रकाशित करेंगे।
१४७. लाल फीता
'नेटाल मयुरी'ने प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम-सम्बन्धी पत्र-व्यवहारको छाप कर एक लोक-सेवा की है। अधिनियम जिस तरह अमलमें आ रहा है उसपर यह पत्र-व्यवहार बहुत प्रकाश डालता है। ज्ञात होता है कि श्री ई० वाज नामके एक सुशिक्षित भारतीयको, जब वे पिछले ३० सितम्बरको अपने किसी मित्रको एक जर्मन जहाजसे विदा करने गये थे, जहाजपर जानेसे रोक दिया गया था। श्री वाज जिस मित्रको विदाई देने गये थे उसे भी, दूसरे दर्जेका टिकट दिखानेके बावजूद, जहाजपर नहीं चढ़ने दिया गया। शिकायत है कि कामपर तैनात सिपाहीने उन दोनोंके साथ दुर्व्यवहार किया। इसपर श्री वाजने समुद्री पुलिस सुपरिटेंडेंटको लिखा, जिसने जवाब दिया कि सिपाही उसके निर्देशोंका पालन कर रहा था। तब वे मामला उपनिवेश कार्या- लयमें ले गये। उपनिवेश कार्यालयने भी वही रस्मी जवाब दिया और बताया कि निर्देश
१. इन आरोपोंका सार यह था कि २७ व्यक्ति, जो नेटाल बन्दरपर २५ अक्टूबरको पहुँचे थे, जहाजकी एक तंग कोठरी में ३ दिन तक बन्द रखे गये थे। उनमेंसे अधिकांशको निराहार तथा विना पानीके भी दिन बिताने पड़े थे। देखिए इसी खण्डमें, पृष्ठ १४१ ।