न्यूजीलैंडका एक गोरा चीनियोंसे इतना चिढ़ गया है कि उसने एक चीनीको दिन-दहाड़े बन्दूकसे मार डाला; फिर वह खुद ही पुलिस थानेमें जाकर गिरफ्तार हो गया। उसपर मुकदमा चलाया गया। अदालती पंचोंने उसको पागल समझकर मृत्यु-दण्ड न देनेकी राय दी। परन्तु इसपर वह बोल उठा कि मैंने खून पागलपनमें नहीं किया है। उसकी मान्यता यह है कि चीनियोंसे गोरोंको बहुत नुकसान पहुंचता है। इसलिए एक उदाहरण प्रस्तुत करनेके इरादेसे उसने खून किया है और वह स्वयं फाँसीपर चढ़नेके लिए तैयार है।
१६८. नेटाल प्रवासी-अधिनियम
'सोमाली' जहाजके यात्रियोंको जो तकलीफें उठानी पड़ी हैं उनके बारेमें श्री हैरी स्मिथने हमें लिखा है कि हमने जो शिकायतें की हैं वे सही हैं। लेकिन जो तकलीफें यात्रियोंको भुगतनी पड़ी, उसमें अपना दोष स्वीकार करनेके बदले वे जहाज-मालिकोंको दोषी ठहराते हैं और लिखते हैं कि कुछ यात्री जानबूझकर अपने लिए तकलीफें बुलाते हैं। हम इन सब बातोंका ब्योरेवार जवाब दे चुके हैं। वह अंग्रेजी विभागमें छप भी चुका है। श्री स्मिथ यह कहने में भूल करते है, क्योंकि वे प्रवासी-अधिनियमके अमलसे उत्पन्न कष्टोंका उत्तरदायित्व दूसरोंपर नहीं डाल सकते। जिन सवारियोंको जहाजसे उतरनेकी अनुमति न दी गई हो उनको तकलीफ न हो, इसका प्रबन्ध करना श्री स्मिथका कर्तव्य है।
१६९. वन्देमातरम् : बंगालका शौर्यमय गीत
पश्चिमके प्रत्येक राष्ट्रका एक अपना राष्ट्रगीत है। यह गीत अच्छे अवसरोंपर गाया जाता है। अंग्रेजीमें “गॉड सेव द किंग" गीत ही प्रसिद्ध है। उसको गाते समय अंग्रेजोंमें शौर्य जगता है। जर्मनीका राष्ट्रगीत भी प्रख्यात है। फ्रान्सका मारसले" गीत इतने ऊँचे दर्जेका है कि वह जब गाया जाता है तब फ्रांसीसी लोग उन्मत्त हो जाते हैं। इस प्रकारके अनुभवोंसे बंगाली कवि बंकिमचन्द्रके मनमें बंगाली लोगोंके लिए एक गीत बनानेका विचार आया। उन्होंने "वन्दे- मातरम्" नामका गीत रचा है जो इस समय सारे बंगालमें फैला हुआ है। बंगालमें स्वदेशी मालके व्यवहार-सम्बन्धी आन्दोलनके सिलसिले में विराट सभाएं की गई हैं। उनमें लाखों लोग एकत्रित हुए हैं और सभीने बंकिमचन्द्रका गीत गाया है। कहा जाता है कि यह गीत इतना लोकप्रिय हो गया है कि राष्ट्रगीत बन गया है। अन्य राष्ट्रोंके गीतोंसे यह मधुर है और इसमें
१. देखिए “श्री हैरी स्मिथ और भारतीय", पृष्ठ १४७-८ ।