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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/२२७

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ईसाइयों और मुसलमानोंके सम्बन्धमें लॉर्ड सेल्बोर्नके विचार

जरूरी कर दिया जाये कि वे गाड़ीको छतपर बैठें और पीछेकी सीटका उपयोग करें जो हर जीनेके अखीरमें होती है, अर्थात् हर एक सिरेपर बनी चार सीटोंपर बैठें। उनसे किराया मामूली लिया जाये ।

२. जहाँ किसी मार्गपर रंगदार लोगोंके लिए विशेष गाड़ियाँ फायदेके साथ चलाने के लायक काफी आमदरफ्त हो वहाँ एशियाई लोगोंको गाड़ियोंके भीतर और काफिरोंको बाहर बिठानेकी, या इसके विपरीत, व्यवस्था की जा सकती है। इसका प्रयोग अभी फोर्ड्सबर्ग और न्यूटाउनके मार्गोंपर किया जाये ।

३. यदि बादमें यह मालूम हो कि विशेष गाड़ियोंको फायदेके साथ चलाने के लायक रंगदार लोगोंकी काफी आमदरफ्त नहीं है तो मामूली गाड़ियोंके साथ इकमंजिले छकड़े जोड़नेका प्रयोग किया जाये और ये छकड़ानुमा गाड़ियाँ और मामूली गाड़ियाँ, जो रंगदार लोगोंके लिए प्रयुक्त होंगी, पार्सलें बाँटने के काममें भी लाई जायें। प्रस्ताव है कि यह काम किसी बादकी तारीखको आरम्भ किया जाये ।

अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १७-२-१९०६

'२०१. ईसाइयों और मुसलमानोंके सम्बन्धमें

लॉर्ड सेल्बोर्नके विचार लॉर्ड सेल्बोर्नने अभी हालमें गिरजेकी एक सभामें यह कहा बताते हैं :

ऐसा जान पड़ता है कि हमारी जातिके लोग दो बातें भूल जाते हैं और इसलिए वे धर्मकी जितनी परवाह वस्तुतः करते हैं उससे बहुत कम परवाह करनेके दोषी ठहराये जाते हैं । जो आचार उनके धर्मको व्यक्त करते हैं उनके बारेमें वे बहुत उदासीन रहते हैं। और उनको यह खुलेआम जताने में संकोच होता है कि वे हैं किस पक्षमें। ऐसा अक्सर हुआ है कि मेरे मित्र अपनी पूर्व यात्रामें मुसलमानोंकी धर्मनिष्ठासे प्रभावित हुए हैं। मुसलमान दिनमें खास वक्तपर जहाँ भी होता है, अपना मुसल्ला बिछा लेता है। और घुटने टेककर नमाज पढ़ता है। मेरे मित्रने उसकी इसी बातपर कहा कि मुसलमान ईसाईसे बहुत ज्यादा अच्छा आदमी होता है। मेरे साथ ऐसी घटना अनेक बार हुई है । परन्तु उसके इस निष्कर्षका समर्थन तथ्योंसे नहीं होता । सम्भावना यह है कि मुसलमान अधिकांश ईसाइयोंसे बहुत ज्यादा बुरा आदमी हो; पर उसने एक बात पकड़ ली है, जिसे हम भूल जाते हैं; और वह है कि अगर किसीको दुनियामें अपना प्रभाव जमाना है तो उसे लोकमतसे नहीं डरना चाहिए और यह प्रकट करनेमें भी संकोच नहीं करना चाहिए कि वह किस पक्षमें है ।

अगर परमश्रेष्ठके भाषणकी यह रिपोर्ट सही है, तो हमें खेदके साथ कहना पड़ता है कि वे एक बड़े अविवेकके दोषी हैं । "सम्भावना यह है कि मुसलमान ज्यादातर ईसाइयोंसे बहुत ज्यादा बुरा आदमी हो", ऐसी बात सम्राटके प्रतिनिधिको सम्राटकी मुस्लिम प्रजाके बारेमें न कहनी चाहिये । अपने पदके कारण परमश्रेष्ठको भाषणकी वह स्वतंत्रता प्राप्त नहीं है, जिसका दावा उनसे कम हैसियतके लोग कर सकते हैं और उनके द्वारा प्रकट किये गये इस विचारसे