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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/२४५

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२१८. अनुमतिपत्रका काठ[]

ट्रान्सवालम प्रवेशके अनुमतिपत्र प्राप्त करनेमें गरीब शरणार्थियोंके रास्तेमें जो कठिनाइयाँ उपस्थित की जाती हैं, उनके बारेमें हम इतना सुनते और पढ़ते हैं कि हमने अगले हफ्तेसे उपर्युक्त शीर्षकसे एक नया स्तम्भ आरम्भ करनेका निश्चय किया है। हम इसमें उन सब ब्रिटिश भारतीय शरणार्थियोंकी नामावली छापेंगे जिनको आवेदनपत्र भेजे दो माससे अधिक हो जानेपर भी अभी-तक अनुपतिपत्र नहीं दिये गये हैं। यह बात नहीं है कि हम ऐसे आवेदनपत्रोंपर विचार करनेके लिए दो मासका समय उचित समझते हैं, लेकिन चूंकि हमारे सुननेमें आता है कि बहुतसे आवेदन- पत्रोंको छः माससे ज्यादा समय हो गया है, इसलिए हमने अपेक्षाकृत बड़ी बुराईको चुनने और प्रकाशित करनेका निश्चय किया है। तुलनात्मक दृष्टिसे दो मास पुराने आवेदनपत्र, फिलहाल, सामान्य समझे जा सकते हैं; किन्तु उनसे पुराने आवेदनपत्रोंके विषयमें यह कहने में हमें हिचकिचा-हट नहीं है कि उनकी मुद्दत ही शरणार्थियोंके हितोंके प्रति अधिकारियोंकी घोर उदासीनता प्रकट करती है। इसलिए जो लोग ट्रान्सवालके अनुमतिपत्र अधिकारियोंकी सनकोंसे परेशान हैं उन सबसे हमारा निवेदन है कि वे हमें अपने नाम, पते और आवेदनपत्रोंकी तिथियाँ भेजकर अपनी मदद स्वयं करें। हम यह नहीं कहते कि ये सब लोग प्रामाणिक शरणार्थी हैं, पर हम यह अवश्य कहते हैं कि इन सबको एक निश्चित और स्पष्ट उत्तर पानेका हक है, जिससे उन्हें अनिश्चितताकी अवस्थामें न रहना पड़े। हमें मालूम हुआ है कि कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास पुरानी डच सरकार द्वारा जारी किये गये पंजीकरण प्रमाणपत्र हैं। उनको आज अपने अपनाये मुल्कसे देश निकाला मिला हुआ है। लॉर्ड सेल्बोर्नने दो वादे किये हैं। उन्होंने एक वादा गोरे समाजसे यह किया है कि कोई गैर-शरणार्थी भारतीय ट्रान्सवालमें न बसने दिया जायेगा और इसका पालन धर्माचारकी भाँति किया जा रहा है। परमश्रेष्ठने दूसरा वादा भारतीय समाजसे किया है और वह है कि शरणार्थियोंके सब आवेदनपत्रोंपर अत्यन्त शीघ्रतासे विचार किया जायेगा और उनको देशमें प्रवेश करनेकी पूरी सुविधाएँ प्रदान की जायेंगी। हमें जो जानकारी प्राप्त है, वह यदि सही है तो उनका पिछला वादा अभी पूरा होना शेष है। हमें आशा है कि हमारे पाठक एक ऐसी स्थितिको, जो असह्य हो गई है, सुलझानेमें हमारी मदद करेंगे।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २४-२-१९०६
 

२१९. लंदनकी मैट्रिक परीक्षामें तमिल[]

इस उपनिवेशके तमिल अधिवासियोंने लन्दन विश्वविद्यालयको इस आगयका प्रार्थनापत्र भेजा था कि विश्वविद्यालयकी मैट्रिक परीक्षाके वैकल्पिक विषयोंमें तमिलको भी एक विदेशी भाषाके रूपमें मान्य किया जाये। हमें उसका उत्तर लन्दन विश्वविद्यालयके वैदेशिक पीठ स्थविर (रजिस्ट्रार) के सचिवसे प्राप्त हो गया है। यद्यपि इस विषय में संयुक्त परिषदें प्रमुख सभा-

 
  1. ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और अमेरिकामें उन्नीसवीं शताब्दी में प्रचलित विशिष्ट अपराधियोंको दण्ड देनेफा उपकरण, जो अंग्रेजीमें "पिलरी" कहा जाता है। इसमें बन्द अपराधी के सिर और हाथ छेदोंसे बाहर निकाल दिये जाते थे ताकि आम लोग उसको देखें और उसका उपहास करें।
  2. खण्ड ४, १४४४३ भी देखिए।