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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/३३०

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३०२. म° द° आ° रेल प्रणालीमें[] यात्राको कठिनाइयाँ

क्लार्क्सडॉर्पके एक संवाददाताने हमारे गुजराती स्तम्भोंमें उन कठिनाइयोंका जिक्र किया है जो क्लार्क्सडॉर्प और जोहानिसबर्गके बीच चलनेवाली रेलगाड़ियोंमें यात्रा करते समय भारतीय यात्रियोंको होती हैं। हमारे संवाददाताकी शिकायत है कि भारतीय मुसाफिरोंको, फिर चाहे वे किसी भी श्रेणीके क्यों न हों, रेलगाड़ियोंमें तबतक जगह नहीं दी जाती जबतक उनमें "रंगदार" या "सुरक्षित" तख्तियाँ लगे डिब्बे जुड़े न हों। हमारा संवाददाता आगे कहता है कि अधिकारियोंकी कार्रवाईके परिणामस्वरूप बहुत कम भारतीय मुसाफिर कुछ आरामके साथ यात्रा करते हैं। सब गाड़ियों में तख्तियां नहीं लगी होतीं, इसलिए अगर किसी भारतीय मुसाफिर की कोई खास गाड़ी निकल जाती है और वह दूसरी गाड़ीसे, जिसमें सुरक्षित स्थान नहीं हैं, यात्रा करना चाहता है तो वह प्रायः ऐसा करनेमें असमर्थ रहता है। हमारे संवाददाताका कथन है कि ऐसी गाड़ीमें यात्रा एक इसी शर्तपर की जा सकती है कि मुसाफिर पूरे समय बराबर गलियारेमें खड़ा रहे। यह मामूली बात नहीं है। क्योंकि यात्रामें आठ घंटेसे ऊपर लगते हैं। अगर हमारे संवाददाताकी शिकायत सच्ची है तो यह स्पष्ट है कि रंगदार मुसाफिरोंके आरामकी तरफ काफी ध्यान नहीं दिया जाता।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २१-४-१९०६
 

३०३. वीसूवियसका ज्वालामुखी

इटली में वीसूवियसका जो ज्वालामुखी सुलग रहा है, वह हमें कुदरतकी ताकतका भान कराता है, और यह सूचित करता है कि हमें घड़ीभर भी अपनी जिन्दगीका भरोसा नहीं करना चाहिए। फ्रान्सकी कूरिअर खानकी हालकी दुर्घटना भी, जिसमें अनेक व्यक्ति जिन्दा दफन हो गये, हमें इसी सत्यका साक्षात्कार कराती है। लेकिन खानकी दुर्घटनाके बारेमें लोग इंजीनियरोंका दोष निकाल सकते हैं। और यह सोचकर अपनेको बहला सकते हैं कि अमुक सावधानी रखी जाती, तो जो लोग दबकर मरे, वे न मर पाते। ज्वालामुखीके विषयमें कोई ऐसी बात नहीं कह सकते। किन्तु इस समय इस विषय में हम अधिक कहना नहीं चाहते। भारतसे दूर आये हुए लोगोंको ऐसे विचारोंका पूरा भान हो सकेगा, यह मानना तो बेकार है। लेकिन इस ज्वालामुखीके सुलगते समय एक वैज्ञानिकने जिस बहादुरीका परिचय दिया, उसकी ओर हम पाठकोंका ध्यान खींचना चाहते हैं। ज्वालामुखीके पास ही हवाकी गतिविधि मापनेका एक केन्द्र है। प्रोफेसर मेट्यूसी वहाँ रहते हैं। वह जगह बड़े खतरेकी है। पर्वतसे निकलनेवाला लावा उस जगहको किसी भी समय ज़मींदोज़ कर सकता है। फिर भी प्रोफेसर मेटयूसीने अपनी जगह नहीं छोड़ी और अपने स्थानपर बैठे-बैठे वे ज्वालामुखीके समाचार नेपल्स भेजते रहते हैं। इस प्रकार खतरेकी स्थितिमें बैठे रहना कोई मामूली बहादुरी नहीं है। वहाँ

 
  1. सेंट्रल साउथ आफ्रिकन रेलवे।