बच्चोंके लिए सुरक्षित रखा जायेगा। इसकी स्थापना उस समय हुई थी जब सरकारने भारतीय बच्चोंको उपनिवेशके साधारण स्कूलोंमें भरती न करनेका निर्णय किया था। और हम जानते है उस समय भी समस्त रंगदार बच्चोंके लिए एक स्कूल स्थापित करनेका प्रश्न उठाया गया था। परन्तु अच्छी तरह विचार करनेके बाद सरकारने सिर्फ भारतीय बच्चोंके लिए एक स्कूल कायम करनेका निर्णय किया । और यही कारण था कि इस स्कूलका वह नाम पड़ा जो आज है। इसके अतिरिक्त 'रंगदार बच्चे', इन शब्दोंका अर्थ इच्छानुसार घटाया बढ़ाया जा सकता है। ब्रिटिश भारतीय', इन शब्दोंका अर्थ सभी लोग जानते है परन्तु 'रंगदार व्यक्ति', शब्दोंका कोई निश्चित अर्थ नहीं है। और यह देखते हुए कि सरकारने भेद करनेकी नीति अपनाई है, यह उचित ही है कि उपनिवेशके इस सबसे बड़े नगरमें ब्रिटिश भारतीयोंके लिए एक स्कूल सुरक्षित रखा जाये। शिक्षा-अधीक्षकने उस दिन कहा था कि भारतीय माता-पिता नेटालके अन्य स्थानोंमें इस प्रकारके मिश्रणपर आपत्ति नहीं करते। परन्तु हम सादर निवेदन करते हैं कि नेटालके छोटे नगरोंसे इस प्रकारकी तुलना करना कदाचित् ही उचित होगा । डर्बन एक ऐसा नगर है जिसमें स्वतन्त्र और सम्पन्न भारतीयोंकी सबसे बड़ी आबादी है। इसलिए यह स्वाभाविक ही है कि ऐसे मामलों में डर्बनमें कठिनाई तीव्रताके साथ अनुभव की जाये।
जहांतक लड़के-लड़कियोंको अलग-अलग रखनेका प्रश्न है, हम, काफी अनुभव प्राप्त तथा भारतीय भावनाओंसे परिचित माता-पिता, इतना ही कह सकते हैं कि इस निर्णयसे बहुत-सी जायज शिकायतें उत्पन्न होने वाली हैं। इस मार्गके अनुसरण किये जानेमें केवल व्यावहारिक गम्भीर आपत्तियाँ ही नहीं है, बल्कि बहुतसे उदाहरणोंमें धार्मिक भावनापर भी विचार करना है और हमें सन्देह नहीं कि सरकार ऐसी भावनाओंका पूरा खयाल रखेगी।
अन्तमें, हम आशा करते हैं कि उपर्युक्त दोनों मामलोंके बारेमें जो हिदायतें जारी की गई हैं वे वापस ले ली जायेंगी. और जब उच्चतर श्रेणी भारतीय विद्यालयकी स्थापना हुई थी तब भारतीय समाजको जो विश्वास दिलाया गया था उसको सरकार बनाये रखेगी।
आपका, आदि,
अब्दुल कादिर
और ९९ अन्य
१. देखिए खण्ड ३, पृष्ठ १७६ ।