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७५. पत्र: कुमारी एडिथ लॉसनको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २, १९०६

प्रिय कुमारी लॉसन,

क्या आपका यहाँ न आना यह जाहिर करता है कि आपकी सगाई हो गई है? यदि ऐसा है तो मेरी बधाइयाँ लें। और यदि ऐसा न हो तो कृपया कल यहाँ आकर मुझसे मिलें। मैं न होऊँ तो मेहरबानी करके प्रतीक्षा करें। मैं सम्भवतः सारी सुबह घर ही रहूँगा। यदि तीसरे पहर बाहर गया तो किसीके पास अपने कार्यक्रमकी सूचना छोड़ जाऊँगा। श्री सिमंड्स कदाचित् तीसरे पहर बाहर रहेंगे; नहीं तो वे आपकी प्रतीक्षा करते।

आपका सच्चा,

कुमारी लॉसन

मारफत श्रीमती हॉस्टर
सेंट स्टीफन्स चेम्बर्स

टेलीग्राफ स्ट्रीट, ई० सी०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४४५७) से।

७६. पत्र: जे० सी० गिब्सनको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २, १९०६

प्रिय श्री गिब्सन,

आपके सहानुभूतिपूर्ण पत्रके लिए मैं आपका आभारी हूँ। सच पूछिए तो मेरा पूरा इरादा था कि जोहानिसबर्ग छोड़ने से पहले मैं आपसे मिल लूँ। परन्तु समयसे जूझते रहने के कारण मुझे बहुतसे कार्य, जिन्हें मैं करना चाहता था, यों ही छोड़ देने पड़े। स्कॉटलैंड जा सकूँगा, मुझे इसकी कोई गुंजाइश नहीं दिखती। यहाँ मैं एक महीने के लिए आया हूँ। परन्तु मैं देखता हूँ कि छः महीने काम करूँ, तब भी काफी बच रहेगा। मैं लगभग रात-दिन काममें लगा रहता हूँ।

आपका सच्चा,

श्री जे० सी० गिब्सन
[१]

पो० ऑ० बॉक्स १२६१

जोहानिसबर्ग

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४४५८) से।

  1. जोहानिसबर्ग-निवासी। फरवरी १०, १९०८ को मीर आलमके प्रहारसे बेहोश हो जाने के बाद गाँधीजीको श्री गिब्सनके निजी दफ्तर में ही ले जाया गया था। देखिए दक्षिण आफ्रिका के सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय २२ ।