पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/१०७

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७७. पत्र: एस० हॉलिकको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २, १९०६

प्रिय महोदय,

आपका गत मासकी ३१ तारीखका पत्र मिला। यदि आपके लिए सुविधाजनक हो तो आगामी सोमवार या मंगलवारको ९-३० बजे प्रातःकाल आपसे मिलनेमें मुझे प्रसन्नता होगी।

आपका विश्वस्त,

श्री एस० हॉलिक
६२, लन्दन वॉल, ई०सी०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४४५९) से।

७८. पत्रः एच० बिसिक्सको

[होटल सेसिल]
लन्दन
नवम्बर २, १९०६

प्रिय श्री बिसिक्स,

जोहानिसबर्गके पतेपर आपने मुझे जो पत्र भेजा था वह दिगन्तरित होकर यहाँ मिला। निस्सन्देह आपको यह पत्र पाकर आश्चर्य होगा। यदि आपके पास समय हो तो आगामी बुधवार या बृहस्पतिवारको ९-३० बजे मुझे आपसे मिलने में प्रसन्नता होगी। मैं स्वयं आता, परन्तु मुझे यहाँ बहुत कम ठहरना है, इसलिए बहुतेरे मित्रोंके घरोंपर भेंट करने जानेका कार्यक्रम छोड़ना पड़ा है। आपकी परेशानियों में मुझे आपके साथ पूरी हमदर्दी है और स्वर्गीया कुमारी बिसिक्सको[१] मैंने जो पेशगी रकम दी थी उस सिलसिलेमें मैं आपसे कुछ भी पटानेकी अपेक्षा नहीं रखता। शाकाहारके प्रचार कार्य के लिए वह मेरा चन्दा था। मुझे खेद है कि मैं

  1. एक थियॉसफिस्ट; गांधीजीकी मुवक्किल और मित्र। गांधीजीने उन्हें शाकाहार भोजनालयके लिए कुछ कर्ज भी दिया था। देखिए खण्ड ५, पृष्ठ ३६।