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८१. पत्र: जे० एच० पोलकको

होटल सेसिल
लन्दन
नवम्बर २, १९०६

प्रिय श्री पोलक,

सभाके सम्बन्धमें मैंने श्री रिचको आपके पास भेजा था--केवल इसलिए नहीं कि आप श्री स्कॉटको मेरी अपेक्षा अधिक जानते हैं, बल्कि इसलिए भी कि मैं पूर्ण रूपसे व्यस्त हूँ और यदि जो ३ या ४ दिन अभी बाकी हैं उनमें आप कुछ घंटे रोज दे सकें तो मैं सोचता हूँ कि सदस्योंकी प्रस्तावित सभाके बारेमें जल्दी करना सम्भव हो सकता है। विचार यह है कि शिष्टमण्डलके लॉर्ड एलगिनसे मिलनेसे पहले यह सभा कर ली जाये और सभा द्वारा लॉर्ड एलिगिनके पास भेजा जाने के लिए एक प्रस्ताव भी पास करा लिया जाये। इसलिए यदि आपके लिए सम्भव हो तो कृपया सक्रिय हो जायें। इस बीचमें मैं निश्चय ही, जैसा कि आपने सुझाव दिया है, श्री स्कॉट और दूसरे सदस्यों से मिलूँगा।

'मॉर्निंग लीडर' के आदमीके सम्बन्धमें आपने क्या किया ? क्या आपने भी उस नवयुवककी[१] शिक्षाके प्रश्नपर और आगे विचार किया है जिसके बारेमें पिछले रविवारको मैंने आपसे बात की थी?

मैं कहना चाहता हूँ कि इधर-उधर जाने आदिके बारेमें आपको जो भी व्यय करना पड़ेगा वह मुझे देना चाहिए।

चूँकि मेरे लिए रविवारसे पहले या किसी और दिन पण्डितजीसे[२] मिलना सम्भव नहीं है। इसलिए मुझे आशंका है कि आपके घरमें होनेवाले सान्ध्य संगीत-समारोहका आनन्द लेनेसे मुझे अपने आपको वंचित रखना पड़ेगा। मुझे उन्हीं कुछ घंटोंसे सन्तोष करना पड़ेगा जो मैं रविवारको तीसरे पहर आपके साथ बिता सकूँगा। क्या मैं आपसे यह भी निवेदन कर सकता हूँ कि आप सुबह दफ्तर जाने से पहले होटलमें मुझसे मिलते जायें?

आपका सच्चा,

श्री जे० एच० पोलक
२८, ग्राउने रोड
कैननबरी

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४६३) से।

  1. रत्नम् पत्तर ।
  2. पण्डित श्यामजी कृष्णवर्मा।