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८९. कच्ची उम्र में बीड़ीका व्यसन

बीड़ी या सिगरेट पीनेकी आदत नुकसानदेह है, इस ओर कई बार हम अपने पाठकोंका ध्यान आकर्षित कर चुके हैं[१]। इस सम्बन्धमें फिरसे लिखनेका प्रसंग उपस्थित हुआ है। आस्ट्रेलियाके विक्टोरिया प्रान्तमें इस कुटेवको रोकनेके लिए एक कानून बनाया गया है। उसके अनुसार अब १६ वर्ष से कम उम्रवाला कोई भी लड़का सिगरेट नहीं पी सकेगा। इस उम्रके लड़के को बीड़ी बेचते या देते जो व्यापारी पकड़ा जायेगा, उसपर पहली बार २०शि० और दूसरी बार ४०शि० जुर्माना होगा। तीसरी बार पकड़े जानेपर उसका व्यापारिक परवाना पाँच वर्षके लिए रद किया जायेगा।

बीड़ीको रोकने के लिए पहली बार ही दुनिया में ऐसा सख्त कदम उठाया गया हो, सो बात नहीं है। जर्मनी, जापान और, पास देखें तो, केप कालोनी जैसे सुसंस्कृत राज्यों में यह कानून मौजूद है; और कुछ समय पहले नेटालमें भी एक ऐसा विधेयक पेश किया गया था। लेकिन जहाँ दूसरोंको पामाल करके और, सम्भव हो तो, देशके बाहर निकालकर धनवान बन जानेकी दिशामें उत्साहको गुमराह किया जाता हो, वहाँ धूम्रपान निरोधक विधेयक क्या काम आयेगा, यह समझमें नहीं आता। तम्बाकू नुकसान ही नहीं पहुँचाता, शरीर और मन दोनोंको निर्बल भी करता है। कच्ची उम्र में तो उसका प्रभाव बहुत ही ज्यादा होता है, यह बात सहज ही समझमें आ सकती है। कहीं-कहीं धर्म-नियमोंके द्वारा ही तम्बाकू इस्तेमाल करनेपर रोक लगा दी जाती है। इसीलिए बहुतेरे भारतीय बीड़ी नहीं पीते, यह भी सच है। लेकिन कहीं-कहीं इस लतने इतना घर कर लिया है कि हमें इसके विरुद्ध बार-बार कहनेमें भी संकोच नहीं होता।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३-११-१९०६

  1. देखिए खण्ड ५, "सिगरेटसे हानि", पृष्ठ ११० ।