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९७. पत्र: टी० एच० थॉर्नटनको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर ३, १९०६

प्रिय महोदय,

श्री अराधूनने आपका इसी पहली तारीखका पत्र मेरे पास भेजा है। जैसे ही उन्होंने आपका नाम शिष्टमण्डलके नामोंमें दिया, वैसे ही मैंने आपके पास कागजात भेज दिये थे। आशा है, आपको मिल चुके होंगे। अब मैं इतना ही और कहने के लिए लिख रहा हूँ कि यदि शिष्टमण्डलकी मुलाकातके पहले, आप श्री अली और मुझे मिलनेका समय दें जिससे हम आपके प्रति अपना सम्मान व्यक्त कर सकें और आपके सामने और भी अच्छी तरह परिस्थिति रख सकें तो इसके लिए हम आपके बहुत आभारी होंगे।

आपका विश्वस्त,

श्री टी० थॉर्नटन, सी० एस० आई०, डी० सी० एल० आदि
१०, मालंबरो बिल्डिंग्स
बाथ

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४७८) से।

९८. शिष्टमण्डलकी यात्रा—५[१]

लन्दन
नवम्बर ३, १९०६

श्री श्यामजी कृष्णवर्मा और इंडिया हाउस

पिछले पत्रमें लिखे अनुसार मैं श्यामजी कृष्णवर्मा तथा इंडिया हाउसके बारेमें कुछ लिख रहा हूँ। श्री श्यामजी कृष्णवर्मा बम्बईके बैरिस्टर हैं। वे श्री छबीलदास भणसालीके दामाद हैं। उनका संस्कृतका ज्ञान बहुत ही अच्छा होनेके कारण स्वर्गीय प्रोफेसर मोनियर विलियम्स उन्हें ऑक्सफोर्ड ले गये थे। वहाँ श्री श्यामजी अपनी बुद्धिमानीके कारण प्रोफेसर नियुक्त हुए और उन्होंने खासी कमाई की।

  1. यह और इसके पहलेका पत्र–-"शिष्टमण्डलकी यात्रा—४", (पृष्ठ २९-३०)--इंडियन ओपिनियन के एक ही अंकमें प्रकाशित हुए थे। परन्तु यह बादमें लिखा गया था और इसे अलग पत्रके रूपमें भेजनेका मंशा भी इसलिए इसे उचित क्रमानुसार यहाँ अलग दिया जा रहा है ।