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१०९. पत्र: एफ० एच० ब्राउनको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर ६, १९०६

प्रिय श्री ब्रॉउन,

आपके इसी ५ तारीखके पत्रके लिए धन्यवाद। मैं आपको 'इंडियन ओपिनियन' की पिछली दो प्रतियाँ भेज रहा हूँ, जिनसे आपको अध्यादेशके बारेमें कुछ और जानकारी मिल जायेगी तथा दक्षिण आफ्रिकामें भारतीय समाजकी सामान्य गतिविधिके बारेमें भी कुछ मालूम हो जायेगा। प्रतिनिधियोंके चित्र भी आपको पिछले अंकमें मिलेंगे।

श्री रिचको और मुझे आपने सर कर्ज़न वाइलीसे[१] परिचित कराया, यह आपकी कृपा थी, हालाँकि जब आपने परिचय कराया, तब मैं यह नहीं जानता था कि सर कर्जन श्री मॉर्लेके राजनीतिक सहायक हैं।

मैंने श्री रिचको आपका पत्र दिखा दिया है। वे अपने निबन्धकी[२] एक प्रति उसके पठनकी तिथिसे पहले पड़नेवाले शुक्रवारसे पूर्व ही किसी समय आपको दे देंगे।

पत्रके साथ शिष्टमण्डलके सदस्योंकी पूरी सूची संलग्न है।

आपका सच्चा,

संलग्न: ३

श्री एफ० एच० ब्राउन
'दिलकुश'
वेल्टबोर्न रोड
फॉरेस्ट हिल, एस० ई०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४९२) से।

  1. इन्हें प्रसिद्ध भारतीय क्रान्तिकारी मदनलाल ढींगराने १९०९ में लन्दनकी इम्पीरियल इंस्टिट्यूटमें मार दिया था।
  2. देखिए "पूर्व भारत संघमें रिचका भाषण", पृष्ठ २७२-७३ ।