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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है, जिसके विषयमें मैं आपको लिख चुका हूँ। इसके पृष्ठ ७४५ पर "बच्चोंपर प्रहार" (वार ऑन इनफेंट्स) शीर्षकसे मुहम्मद मूसाके मुकदमेका विवरण भी है।

मेरा विचार है कि इस विवरणसे ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयोंकी (बच्चों तक की) कठिनाइयाँ उभर कर सामने आती हैं।

आपका आज्ञाकारी सेवक,

[संलग्न:]

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४४८३) से।

१०८. पत्र: अल्बर्ट कार्टराइटको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर ५, १९०६

प्रिय महोदय,

आपके ५ तारीखके पत्रके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ।

मैं इस पत्रके साथ लॉर्ड एलगिनको दिया गया आवेदनपत्र और साथ ही लोकसभाके उदारदलीय तथा अन्य सदस्यों के नाम एक परिपत्र भी नत्थी कर रहा हूँ। ये सदस्य एशियाई अधिनियम संशोधन अध्यादेशके कारण उत्पन्न ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंके दर्जेके सवालमें सक्रिय दिलचस्पी ले रहे हैं।

कदाचित् आपको मालूम हो गया होगा कि लॉर्ड एलगिन अगले गुरुवारको ३ बजे शिष्टमण्डलसे भेंट करेंगे।

यहाँ वकालत या डॉक्टरी पढ़नेवाले दक्षिण आफ्रिकाके पाँच तरुण भारतीयोंने भी लॉर्ड एलगिनको आवेदनपत्र[१] दिया है। उसकी प्रतिलिपि भी साथमें भेज रहा हूँ। आपके पत्रसे मुझको आपका व्यक्तिगत परिचय पानेकी प्रेरणा मिली है। मैं निवेदन करता हूँ कि अगले गुरुवारके बाद आप कभी मुझे मिलनेका समय दें; और यदि आपको असुविधा न हो तो हम लोग होटलमें दोपहरका भोजन साथ करें, और जिस कामके लिए श्री अली और मैं यहाँ आये हुए हैं उसपर चर्चा करें।

आपका विश्वस्त,

[संलग्न:३]

श्री अल्बर्ट कार्टराइट
६२, लन्दन वॉल, ई० सी०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४९१) से।

  1. देखिए "प्रार्थनापत्र: लॉर्ड एलगिनको", पृष्ठ ८४-८५।