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११३. पत्र: जे० डी० रीजको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर ६, १९०६

प्रिय महोदय,

आपके आजके पत्रके लिए श्री अली और मैं बहुत आभारी हैं। ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंके पक्षमें हम आपकी पैरोकारीको ध्यानसे देखते रहे हैं और समय आनेपर हम आपकी सेवामें उपस्थित भी होते। अब हम आपका नाम शिष्टमण्डलके एक सदस्यके तौरपर लॉर्ड एलगिनके पास भेज रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं, शिष्टमण्डल लॉर्ड एलगिनसे उपनिवेश कार्यालयमें अगले गुरुवारको ३ बजे अपराह्नमें मिलेगा। हमने शिष्टमण्डलके सभी सदस्योंसे प्रार्थना की है कि वे उपनिवेश कार्यालयमें २-३० पर आ जायें, जिससे एक छोटी बैठक की जा सके। शिष्टमण्डलका नेतृत्व सर लेपेल ग्रिफिन कर रहे हैं। मैं इस पत्रके साथ शिष्टमण्डलके सदस्योंकी सूची और लॉर्ड एलगिनको दिये जानेवाले आवेदनपत्रकी प्रतिलिपि भी नत्थी कर रहा हूँ। यह आवेदनपत्र गुरुवारको उनसे हमारी बातचीतका आधार होगा। साथ ही मैं एशियाई अधिनियम संशोधन अध्यादेशकी प्रतिका सारांश भी भेज रहा हूँ।

मैं आशा करता हूँ कि लोकसभाके अनेक सदस्यों द्वारा भेजा गया वह परिपत्र भी आपको मिल गया होगा जिसके अनुसार उदार दल, राष्ट्रीय दल और मजदूर दलके संसद सदस्यों की सभा बुलाई जा रही है। मैं विश्वास करता हूँ कि आपको उस बैठकमें सम्मिलित होनेका समय मिल सकेगा। यदि सम्भव हुआ तो श्री अली और मैं सदनमें आपसे भेंटका प्रयत्न करेंगे, ताकि गुरुवारको जो बैठक होगी उससे अधिक विस्तारके साथ परिस्थिति आपके सामने पेश कर सकें।

आपका विश्वस्त,

संलग्न: ३

श्री जे० डी० रीज़
लोकसभा

लन्दन

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिको फोटो-नकल (एस० एन० ४४९७) से।

[संलग्न]

१९०६ के एशियाई कानून-संशोधन अध्यादेशका सारांश[१]

[लन्दन]
नवम्बर २, १९०६

परिभाषा : "एशियाई" शब्दका अर्थ होगा कोई भी ऐसा व्यक्ति, जिसकी परिभाषा १८८५ के कानूनकी धारा १ में दी गई है।

  1. दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंसे सहानुभूति रखनेवालों, विशेषकर परिचायक शिष्टमण्डलके सदस्योंको अध्यादेशके वास्तविक स्वरूप और मन्तव्यसे परिचित कराने के उद्देश्यसे यह सारांश गांधीजीने तैयार किया था।