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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हुआ है? यह खबर कुछ चौंकानेवाली है और यदि इस बारेमें हमें कुछ और बताया जाये तो शायद हम उसका कुछ स्पष्टीकरण दे सकेंगे।

आज तीसरे पहरके शिष्टमण्डलका उद्देश्य ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयोंके लिए उचित और न्याय्य व्यवहार प्राप्त करानेमें लॉर्ड महोदयके हाथ मजबूत करना था, उनके सामने पूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत करना नहीं। चूँकि हमारा विश्वास है कि लॉर्ड महोदयको जो सूचना मिली है और जिसका उन्होंने अपने वक्तव्यमें उल्लेख भी किया है उसमें से कुछ तथ्योंके अनुरूप नहीं है, इसलिए हम प्रार्थना करते हैं कि लॉर्ड महोदय हमें एक छोटी-सी व्यक्तिगत मुलाकात देनेकी कृपा करें। उसमें हम लॉर्ड महोदयके समक्ष आज तीसरे पहर शिष्टमण्डलकी भेंटमें जितना बता सके थे उससे अधिक पूर्णताके साथ ब्योरा पेश कर सकेंगे।

आपके आज्ञाकारी सेवक,
मो० क० गांधी
हा० व० अली

मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल, कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स; सी० ओ० २९१, खण्ड ११२ इंडिविजुअल्स तथा टाइप की हुई दफ्तरी प्रति (एस०एन० ४५१५) से।

१३२. पत्र: श्रीमती जी० ब्लेयरको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर ८, १९०६

प्रिय महोदया,

आपके पत्रके लिए धन्यवाद। मेरे सह-प्रतिनिधि श्री अली और मैं आपके इसी ५ तारीखके पत्रके लिए बहुत-बहुत आभारी हैं। यद्यपि लिवरपूलकी एक सभामें भाषण देना हम बहुत पसन्द करते, फिर भी मुझे भय है कि हमारे लिए जनवरी तक यहाँ ठहरना असम्भव होगा। अधिकसे-अधिक इसी महीनेकी २४ तारीख तक हमारे यहाँसे चले जानेकी सम्भावना है। इसलिए मुझे लगता है कि लिवरपूलमें सभा करनेका विचार छोड़ देना पड़ेगा। तथापि, श्री अली और मैं, दोनों आपकी सहानुभूतिके लिए बहुत कृतज्ञ हैं।

आपका विश्वस्त,

श्रीमती जी० ब्लेयर
अवैतनिक मन्त्री
लिवरपूल भारतीय दुर्भिक्ष-कोष
२१, चर्च रोड
वाटरलू
लिवरपूल

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५१६) से।