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१४४. पत्र: हेनरी एस० एल० पोलकको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर ९, १९०६

प्रिय श्री पोलक,

मैं आपके पास जितनी कतरनें भेज सकता हूँ, भेज रहा हूँ। मैं उनकी तफसील नहीं दे रहा हूँ। कल लॉर्ड एलगिनसे भेंट बहुत ही अच्छी रही। सर लेपेल ग्रिफिनने बहुत अच्छे तरीकेसे बात की। संघके सदस्योंको आप यह पत्र पढ़कर सुना सकते हैं। कार्रवाईकी सरकारी प्रति शायद अगले सप्ताह आपको भेज सकूंगा। मैंने उसके लिए अर्जी दे दी है। सर मंचरजी, श्री नौरोजी, श्री अमीर अली और श्री रीज़ बोले थे। उन सबने संक्षेपमें और विषयानुकूल बातें कहीं। हमें अपेक्षासे अधिक समर्थन मिला है। प्रत्येक व्यक्तिका खयाल है कि भारतीय मामलोंपर इससे अधिक जोरदार शिष्टमण्डल सरकारसे कभी नहीं मिला । यह आशा करनेका प्रत्येक कारण दिखाई देता है कि लॉर्ड एलगिन एक आयोगकी स्वीकृति देंगे और यदि वे देते हैं तो यह बहुत ही अच्छा होगा। अब हमने श्री मॉर्लेसे मुलाकात देनेका अनुरोध किया है। मुझे विश्वास है कि उस शिष्टमण्डलका भी जोरदार समर्थन होगा। लोकसभाके सदस्योंकी सभा[१] बहुत ही उत्साहवर्धक और सहानुभूतिपूर्ण थी। कुछ सदस्योंका खयाल है कि वह अभूतपूर्व थी। किसीने आशा नहीं की थी कि १०० से अधिक सदस्य उपस्थित रहेंगे। सभामें वक्ताओंने भी सहानुभूति दिखाने में एक-दूसरेसे होड़ की ।

हमने आज लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टनसे भेंट की। उन्होंने हमें आधा घंटा दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास हो गया है कि अन्याय किया जा रहा है। लॉर्ड एलगिनको हमने जो आवेदनपत्र दिया है, उसका उन्होंने अध्ययन करनेका वादा किया है। परन्तु उन्होंने जो कुछ कहा उसमें लाचारीकी झलक थी।

कल हमने आपको एक लम्बा तार[२] भेजा था। हम जितना ही सोचते हैं उतना ही इस बातका अनुभव करते हैं कि यदि शिष्टमण्डल के कार्यको व्यर्थ नहीं जाने देना है तो एक स्थायी समिति अत्यन्त आवश्यक है। सर मंचरजी इस बातपर बहुत जोर दे रहे हैं। इसलिए अभीतक आपका कोई तार न आनेसे परेशानी मालूम होती है। इसके लिए मैं आपको दोष नहीं दे रहा हूँ। जिन कठिनाइयोंसे आप गुजर रहे हैं उनको मैं अच्छी तरह समझता हूँ। मैं आपको दोष नहीं दे रहा हूँ।[३] मैं केवल इस तथ्यको कहना चाहता हूँ कि देरी खतरनाक है और आशा करता हूँ कि कल आपका तार मिलेगा। मुझे यह कहने की आवश्यकता नहीं कि श्री अली इस विचारसे पूर्णतया सहमत हैं। हम दोनोंका सम्बन्ध बहुत अच्छा निभ रहा है।

  1. यह सभा ७-११-१९०६ को हुई। देखिए पृष्ठ १११-१२।
  2. उपलब्ध नहीं है।
  3. निश्चय ही भूलसे वाक्यकी पुनरावृत्ति हो गई है।