पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/१७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४५
पत्र: हेनरी एस० एल० पोलकको


आपको यह जानकर हर्ष होगा कि आपके पिताके मित्र श्री स्कॉटने लोकसभाके सदस्योंकी सभा बुलाने में बड़ा काम किया और आपके पिताने गत सोमवारका अधिकांश समय इस सभा लिए श्री स्कॉट और अन्य लोगोंसे मिलने-जुलने में लगाया। उनकी सहायता मेरे लिए अनेक प्रकारसे बहुमूल्य रही है। आपकी माताने वात-शूल (न्यूरैल्जिया) के लिए मिट्टीका लेप आजमानेका वादा किया है। आपके आहातेसे मैंने कुछ स्वच्छ मिट्टी खोदनेकी चेष्टा की, परन्तु वहाँ मिली ही नहीं। आपके पिता थोड़ी-सी दूसरी जगहसे लानेवाले थे। आगामी रविवारको मैं अधिक जान सकूंगा, क्योंकि मुझे रविवारका समूचा अपराह्न आपके परिवारके साथ बिताना है। किन्तु श्रीमती [फीथका पता][१]मालूम हो जानेसे मैं उसमें से दो घंटे ले लूंगा।

इस बार मैं कोई लेख नहीं भेज रहा हूँ। यदि प्रेरणा हुई तो मैं कुछ लिखूंगा । मुझे बाहरी काम-काज ही इतना अधिक रहा है कि सोचने के लिए कुछ समय नहीं बचा। इसलिए यदि मैं आपके पास कोई चीज भेजूंगा तो वह शुद्ध रूपसे ऊपरी होगी। परन्तु आप शिष्टमण्डलके कार्योंके बारेमें, मैं जो कागज पत्र भेज रहा हूँ उनके आधारपर एक लेख दे सकते हैं। श्री मुकर्जी आपके पास कुछ कतरनें भेजेंगे और आप गॉडफ्रे और दूसरोंके निवेदनपत्र तथा लोकसभाकी बैठक और शिष्टमण्डलके बारेमें भी लिख सकते हैं। इस पत्रको लिखवाते समय मेरे मनमें विचार आ रहा है कि मैं लॉर्ड एलगिनके उत्तरपर आपके पास एक सम्पादकीय लेख[२] भेजूं। इससे कुछ बातें स्पष्ट हो जायेंगी।

शिष्टमण्डलके बारेमें कोई लेख लिखने में आपको इस पत्रसे कुछ मदद नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि शिष्टमण्डलकी कार्रवाई [खानगी] मानी गई है। लॉर्ड एलगिनको जो तार भेजा गया है, वह अवश्य ही भयानक होगा। मेरा खयाल है उसे डॉक्टर गॉडफेने भेजा होगा। हमने लॉर्ड एलगिनसे अनुरोध किया है कि वे हमें तारका मजमून और भेजनेवालेका नाम बतायें; तब हम उसकी सफाई दे सकते हैं।

आपका हृदयसे,

[संलग्न]

श्री एच० एस० एल० पोलक
बॉक्स ६५२२
जोहानिसबर्ग
दक्षिण आफ्रिका

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४५३०) से।

  1. टाईप की हुई मूल प्रतिमें यहाँ शब्द स्पष्ट नहीं हैं। देखिए "पत्र: जे० डब्ल्यू० में किंटायरको", पृष्ठ १५२। गांधीजीने मैकिंटायरसे पता माँगा था।
  2. लगता है, यह भेजा नहीं गया।

६-१०