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१५४. पत्र: अब्दुल कादिरको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १०, १९०६

प्रिय श्री कादिर,

आपके पत्रके लिए बहुत धन्यवाद। लॉर्ड एलगिनसे भेंटके परिणामसे मैं सन्तुष्ट हूँ--इसलिए नहीं कि मुझे सफलताका विश्वास है, बल्कि इसलिए कि आवश्यक कार्य सम्पन्न हो गया। तथापि, लॉर्ड एलगिनने एक कोरा नकारात्मक उत्तर देनेके बजाय आयोग सम्बन्धी सुझावके बारेमें विचार करनेका वादा किया है। इसलिए अब भी कुछ आशा बाकी है।

मैं अपने व्यवस्थापकसे कहूँगा कि जबतक आप लन्दनमें हैं तबतक वे आपके पास नियमित रूपसे 'इंडियन ओपिनियन' की एक प्रति भेजते रहें। जब आप लौटें तब व्यवस्थापकको पता बदल जानेकी सूचना दे दें, तो प्रतियाँ वहाँ भेज दी जायेंगी।

अपनी मासिक पत्रिकाको फीनिक्स भेजनेका प्रस्ताव करने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ । श्री अली भी चाहते हैं कि जो प्रति आपने उन्हें भेजी है, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद दूँ।

पूर्व भारत संघ के समक्ष आपने जो निबन्ध पढ़े, उन्हें मैंने जोहानिसबर्ग में ही देखा था। उनपर मैंने पत्रके गुजराती स्तम्भोंमें[१] लिखा भी है।

मैं आपको इस पत्रके साथ प्रत्येक आवेदनपत्र की दो-दो प्रतियाँ भेज रहा हूँ।

आपका हृदयसे,

[संलग्न]

श्री अब्दुल कादिर
[२] ६९, शेफर्ड्स बुश रोड

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५४२) से।

  1. देखिए जीवन हिन्द, इंडियन ओपिनियन, ३१-३-१९०६।
  2. लाहौर ऑबजर्वर और उर्दूके सम्पादक।