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१५५. पत्र: डब्ल्यू० जे० वेस्टको[१]

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १०, १९०६

प्रिय श्री वेस्ट,

कृपया 'इंडियन ओपिनियन' की एक प्रति श्री अब्दुल कादिरको टॉमस कुक ऐंड सन, लडगिट सरकस, लन्दनकी मारफत भेजिए। इसके बदले में वे एक मासिक पत्रिका भेजेंगे।

श्री कादिर पंजाब विश्वविद्यालयके स्नातक और 'उर्दू' पत्रिकाके मालिक हैं । वे हमारे निःशुल्क लेखक भी बन सकते हैं।

आपका हृदयसे,

श्री डब्ल्यू० जे० वेस्ट
फीनिक्स
डर्बन

टाइपकी हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५४१) से।

१५६. पत्र: वुलगर व रॉबर्ट्सकी पेढ़ीको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १२, १९०६

पेढ़ी, वुलगर व रॉबर्ट्स
५८, फ्लीट स्ट्रीट, ई०सी०
महोदय,

श्री अली और मुझे दोनोंको, समाचारपत्रोंकी कतरनोंके बारेमें आपके पत्र मिले।

दी गई शर्तों, अर्थात् १ पौंड १ शिलिंगकी दो सौ प्रतियोंके हिसाब से हम उन कतरनोंको ले लेंगे। शर्त यह है कि आप ये प्रतियाँ हमें गत मासकी २० तारीखसे दे सकें। कोई जरूरी नहीं कि वे ब्रिटिश भारतीय संघ, श्री अली या मेरे बारेमें ही हों, परन्तु साधारणतया हम दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंसे सम्बन्धित प्रतियाँ लेंगे।

आपका विश्वस्त,

टाइपकी हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५२२) से।

  1. नामका संक्षिप्त रूप गलत है क्योंकि सिवाय श्री ए० एच० वेस्टके, जो इंडियन ओपिनियन के अंग्रेजी विभागकी देखरेख करते थे, इस नामका कोई दूसरा व्यक्ति फीनिक्समें नहीं था।