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१६३. पत्र : सर हेनरी कॉटनको

होटल सेसिल
लन्दन
नवम्बर १२, १९०६

प्रिय सर हेनरी,

आपके इसी १२ तारीखके पत्रके लिए कृतज्ञ हूँ। आज हमें निम्निलिखित तार मिला है: "हलफिया बयान, गॉडफेने झूठे बहानोंसे 'बिआस' (ब्रिटिश इंडियन असोसिएशनका सांकेतिक शब्द) नामका प्रयोग करके सादे कागजपर हस्ताक्षर प्राप्त किये। हस्ताक्षर अब वापस ले लिये गये हैं। (लॉर्ड) एलगिनको तार दे रहे हैं। सामाचारपत्रों में सम्मेलनके पूर्ण विवरण छपे हैं।" इस तारसे स्पष्ट है कि जोहानिसबर्ग में पूरी रिपोर्ट प्रकाशित हो चुकी है और लॉर्ड एलगिनने जिस तारकी चर्चा की थी उसका उल्लेख भी साफ-साफ है। मैं और श्री अली उन सज्जनको अच्छी तरह जानते हैं। व्यक्तिगत रूपसे मैं इतना कह सकता हूँ कि वे थोड़ा पागल हैं। वे एक चिकित्सक हैं और उन्होंने एडिनबरा में अपनी उपाधि प्राप्त की है। अध्यादेशके विरुद्ध कार्रवाई करनेमें जहाँतक हम जा सकते हैं उसकी अपेक्षा वे और आगे तक जायेंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने तो हिंसक उपायों तक की वकालत की थी। इसका कारण केवल यही है कि उनके सामने हल करनेके लिए कोई भी समस्या क्यों न रखी जाये, वे अपना मानसिक सन्तुलन खो बैठते हैं। मैंने जो वक्तव्य दिया है उसकी पुष्टि करनेके लिए डॉक्टर गॉडफेसे सम्बन्धित और भी मामले हैं, परन्तु मैं इस समय उनका जिक्र करना नहीं चाहता हूँ। उनके दो भाई यहाँ कानूनकी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और उन्होंने उस व्यक्तिगत प्रार्थनापत्रपर[१], जो लॉर्ड एलगिनके पास भेजा गया है, हस्ताक्षर किये हैं। उसकी एक प्रति उन्होंने आपके पास भेजी है। अपने भाईके व्यवहारसे वे भी बहुत नाराज हुए हैं; यहाँतक कि वे सार्वजनिक रूपसे उनके व्यवहारसे अपनी असहमति व्यक्त करने की बात सोच रहे हैं।[२] परन्तु श्री अली और मैंने उनसे कहा है कि अभी ऐसा कोई कदम उठानेकी आवश्यकता नहीं है। चूँकि आपने प्रश्न[३] किया है, इसलिए मैंने सोचा कि मैं उपर्युक्त जानकारी आपके हवाले कर दूँ।

आपका सच्चा,

सर हेनरी कॉटन, संसद सदस्य
४५, सेंट जॉन्स वुड पार्क, एन० डब्ल्यू०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४५५१) से।

  1. देखिए"प्रार्थनापत्र: लॉर्ड एलगिनको", पृष्ठ ८४-८५।
  2. उन्होंने १४ नवम्बर १९०६ को टाइम्समें एक पत्र लिखकर ऐसा किया।
  3. नवम्बर १४, १९०६ को सर हेनरी कॉटनने लोकसभा में सहायक उपनिवेश-मन्त्री श्री चर्चिलसे अन्य प्रश्नोंके साथ यह भी पूछा था कि उन्हें उक्त प्रार्थनापत्रके "जाली होने और उसपर झूठे बहानोंसे हस्ताक्षर करवाये जाने" के सम्बन्धमें तार मिले हैं या नहीं।