पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/१९७

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१६८. पत्र: डब्ल्यू० एच० अरथूनको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १३, १९०६

प्रिय श्री अराथून,

आपके आजके पत्रके लिए आपका आभारी हूँ। आप जितने निमन्त्रणपत्र भेज सकें उतने मुझे भेजने की कृपा करें; मैं उन्हें संसद सदस्यों में वितरित कर दूँगा।

लॉर्ड एलगिनसे हुई भेंटके विवरणकी एक प्रति मुझे मिल गई है। वितरणके लिए मैं इसकी प्रतियाँ तैयार करा रहा हूँ। एक प्रति मैं आपकी सेवामें भी भेजूँगा।

आप जो कष्ट उठा रहे हैं, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

आपका हृदयसे,

श्री डब्ल्यू० एच० अराथून
३, विक्टोरिया स्ट्रीट, एस० डब्ल्यू०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५५९) से।

१६९. पत्र: थियोडोर मॉरिसनको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १३, १९०६

प्रिय महोदय,

श्री अली और मैं, जैसा कि आप जानते हैं, ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी ओरसे एक शिष्टमण्डलके रूपमें आये हैं। अपने कार्यके सम्बन्धमें हम आपसे मिलना चाहते हैं। यदि आप कृपापूर्वक हमें समय देंगे, तो हम आपके आभारी होंगे।

आपका विश्वस्त,

श्री थियोडोर मॉरिसन[१]
मारफत पूर्व भारत संघ
३, विक्टोरिया स्ट्रीट

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५६०) से।

  1. किसी समय अलीगढ़ मुस्लिम कॉलेज के प्रिंसिपल; बादमें लॉर्ड मेयो द्वारा सर्वोच्च विधान परिषद् में ले लिये गये और १९०६ के अन्त में श्री मॉर्ले द्वारा इंडिया कौंसिलके सदस्य नियुक्त किये गये।