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शिष्टमण्डल: श्री मॉर्लेकी सेवामें

शासनकी बागडोर सौंपनेका प्रारम्भ करना बहुत ही असंगत होगा; क्योंकि अगर उस आयोगको कुछ करना है और यहाँ साम्राज्य सरकारपर कोई असर डालना है तो वह साम्राज्य सरकारको भावी नवसंगठित सत्तासे यह कहनेको बाध्य करेगा कि उसे विधि-निर्माणके कठिन और कंटकाकीर्ण क्षेत्रमें क्या करना है और क्या नहीं। श्री गांधी और श्री मं० मे० भावनगरीने जो-कुछ कहा है उसका मेरे पास केवल यही जवाब है। किसीने इस बातका उल्लेख भी किया कि आयोग इस प्रश्नको हल कर सकेगा। मैं बहुत वर्षों तक संसदमें रहा हूँ और मुझे याद नहीं आता कि किसी आयोगने कभी कोई सवाल हल किया है। इसलिए, मुझे इस सामान्य प्रस्तावपर और आजकी परिस्थितियों में आयोगके विचारपर भी आपत्ति है, क्योंकि ऐसा करनेसे आप उस नई सत्तासे तत्काल टकरा जायेंगे जिसे आपने बनाया है या जिसे आप बनाना चाहते हैं।

इसमें सन्देह नहीं कि ऐसे उपनिवेशोंमें, जैसा ट्रान्सवाल बनने जा रहा है और जैसा नेटाल है, साम्राज्य सरकारकी स्थिति एक जबर्दस्त विरोधाभास है। इसके लिए कोई दूसरा शब्द नहीं है। किन्तु बात ऐसी ही है। आपको वर्तमान पद्धति, जिसे साम्राज्यीय पद्धतिका गलत नाम दिया गया है, मंजूर करनी पड़ेगी। आपको इसे मंजूर करना है और इस सीधे तथ्यको स्वीकार करना है--आपको यह तथ्य स्वीकार करना ही चाहिए--कि हम इन उपनिवेशोंपर हुक्म नहीं चला सकते। हम क्या कर सकते हैं और हमें क्या करना चाहिए? में आशा करता हूँ कि लॉर्ड एलगिनसे, मुझसे और कदाचित् अन्य मन्त्रियों और व्यक्तियोंसे मिलनेवाले इस शिष्टमण्डल जैसे अन्य दल इस कामको आगे बढ़ायेंगे। हम मामलेकी वकालत कर सकते हैं, उसके पक्षमें तर्क दे सकते हैं तथा उन सिद्धान्तोंपर जोर दे सकते हैं जिनका लॉर्ड स्टैनलेने उल्लेख किया है। हम यही-भर कर सकते हैं--चाहे आगामी वर्षमें होनेवाले उपनिवेशीय सम्मेलनमें, अथवा लॉर्ड सेल्बोर्नको भेजे जानेवाले खरीतोंमें। हम ट्रान्सवालके उत्तरदायी निकायोंपर ब्रिटिश लोकमत एवं प्रभावको कारगर बना सकते हैं, इतना ही हम कर सकते हैं।

सर लेपेल ग्रिफिनने इस बातपर ध्यान दिया था, जब उन्होंने यह कहा कि मैं बन्धनोंको खोल सकता हूँ या इन गाँठोंको मजबूत कर सकता हूँ, तो मैंने थोड़ा-सा ताज्जुब जाहिर किया था। आज ऐसा कोई भी वाइसराय जीवित नहीं है जिसने इन व्यवस्थाओंको, जिसके नये रूपके विषयमें आज आप लोग शिकायत कर रहे हैं, सुधारने और काफी शक्तिके साथ सुधारनेकी कोशिश न की हो। लॉर्ड लैन्सडाउन इनके विषयमें जो सोचते थे, सो आपने सुन ही लिया है। जब आप लॉर्ड एलगिनसे मिले तो उन्होंने आपको बताया कि उन्होंने इस कार्यालय द्वारा अनेक खरीते उपनिवेश कार्यालयको भी भेजे। मेरी समझमें उनमें यही विरोध था। अन्तिम वाइसराय लॉर्ड कर्जनने बड़ा जबर्दस्त संघर्ष किया। (तालियाँ)। आज सुबह यह देखने के लिए कि उन्होंने क्या कहा था या किया था, मैं उनके भाषण उलट रहा था। उनके एक भाषणमें--सातवें भाषणमें--जहाँतक मेरा खयाल है, १९०३ में नेटाल सरकारके साथ उन्होंने जो कोशिशें कीं, उनकी तफसील दी है। उन्होंने यह कहा है। चूँकि वह बहुत संक्षिप्त है, इसलिए मैं उसे पढ़नेकी धृष्टता करता हूँ। "हमने तीन पौंडी व्यक्ति-करको अन्ततः समाप्त करनेका प्रयत्न किया जो निवासकी अनुमतिके लिए हर व्यक्तिपर