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२४५. शिष्टमण्डलकी टीपें—३

होटल सेसिल
लन्दन
नवम्बर २३, १९०६

शिष्टमण्डल के लिए यह अन्तिम सप्ताह है। आशा तो यह थी कि हम २४ नवम्बरको निकल जायेंगे। लेकिन समितिका काम पूरा करने तथा श्री मॉर्लेसे मिलनेके बाद जो कुछ करना होगा उसके लिए रुकना कर्त्तव्य हो गया है। हमने अब पहली दिसम्बरको चलनेका निर्णय किया है।

सहायताके और भी वचन

इस सप्ताह लॉर्ड मिलनर, श्री लिटिलटन, लॉर्ड रे, सर रेमंड वेस्ट आदि महानुभावोंसे मुलाकात हुई है। सभी बहुत सहानुभूति बताते हैं और मेहनत करनेका वचन भी देते हैं। इस सबका परिणाम क्या होगा, कहा नहीं जा सकता।

भारत-मन्त्रीसे भेंट

शिष्टमण्डल' भारत-मन्त्रीसे कल, यानी गुरुवारको, १२-२० पर मिला। उसमें सर लेपेल ग्रिफिन, लॉर्ड स्टैनले ऑफ ऐल्डर्ले, सर चार्ल्स डिल्क, सर चार्ल्स श्वान, सर विलियम वेडरबर्न, सर हेनरी कॉटन, सर मंचरजी भावनगरी, डॉ॰ रदरफोर्ड, श्री हैरॉल्ड कॉक्स, श्री ए॰ एच॰ स्कॉट, श्री लिंच, श्री एफ॰ एच॰ ब्राउन, श्री जे॰ डी॰ रीज, डॉक्टर थॉर्नटन, श्री अराथून, श्री दादाभाई नौरोजी, श्री टी॰ जे॰ बेनेट, श्री थियोडोर मॉरिसन तथा श्री रिच उपस्थित थे। श्री अमीर अली अस्वस्थ हो जानेके कारण नहीं आ सके।

सर लेपेल ग्रिफिन, लॉर्ड स्टैनले, श्री कॉक्स तथा सर मंचरजी खूब बोले। लॉर्ड स्टैनलेने तो हद कर दी। उन्होंने मीठे शब्दोंके बदले मीठे कामोंकी माँग की। श्री अली और श्री गांधीने[१], जो कहना था, कहा।

श्री मॉर्लेका भाषण

श्री मॉर्लेने लम्बा जवाब दिया। उसमें उन्होंने कहा :

शिष्टमण्डलसे मिलकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। क्योंकि, जिस देशके लिए मैं संसदके समक्ष उत्तरदायी हूँ, उस देशकी सम्पूर्ण स्थिति जानना चाहता हूँ। मेरे सामने जो प्रश्न पेश हुआ है उसका भारतके मित्रतापूर्ण राज्य-कारोबारसे घनिष्ठ सम्बन्ध है। दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंकी स्थितिसे भारतके लोगोंकी भावनाएँ उभड़ती हैं, यह बहुत ही गम्भीर बात है। दक्षिण आफ्रिकासे भारत लौटनेवाले भारतीय अपने पर बीते जुल्मोंकी बातें साथ ले जाते हैं, जिससे लोगोंमें बड़ी खलबली मचती है। भारतमें लोग मानते होंगे कि दक्षिण आफ्रिकामें जो जुल्म हो रहे हैं उन्हें या तो सरकार रोकना नहीं चाहती,
  1. गांधीजी अपने गुजराती संवादपत्रोंमें प्रायः प्रथम पुरुषवाचक सर्वनामसे या नामनिर्देश करके अप उल्लेख करते हैं।