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२४८. पत्र : लॉर्ड एलगिनके निजी सचिवको[१]

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २४, १९०६

सेवामें
निजी सचिव
परममाननीय लॉर्ड एलगिन
महामहिमके मुख्य उपनिवेश-मन्त्री
डाउनिंग स्ट्रीट

प्रिय महोदय,

सर हेनरी कॉटनके प्रश्नके[२] उत्तरमें फोडडॉर्प बाड़ा-अध्यादेश (फ्रीडडॉ स्टैंड्स ऑडिनेन्स) की बाबत श्री चर्चिलका जवाब मैंने देखा। मेरी नम्र सम्मतिमें यह उत्तर वास्तविक स्थितिकी गलत जानकारीपर आधारित है।

फ्रीडडॉर्प गरीब डच नागरिकोंको व्यक्तिगत निवासके लिए दिया गया था; किन्तु इस कार्रवाईके साथ ही उनके अलावा अन्य लोगोंने भी, जाति या रंगके किसी भेदके बिना, वहाँ कब्जा कर लिया था। उदाहरण के लिए, बोअर सरकारकी जानकारीमें ही बहुत-से डचेतर गोरोंने उन लोगोंसे, जिन्हें मूलतः स्थान दिया गया था, फोडडॉ में बाड़ों का कब्जा ले लिया था।

  1. यह पत्र सर हेनरी कॉटनके प्रश्न और श्री चर्चिलके उत्तर (पा॰ टि॰ २ नीचे) सहित २२-१२-१९०६ के 'इंडियन ओपिनियन' में उद्धृत किया गया था।
  2. नवम्बर २२, १९०६ को सर हेनरी कॉटनने लोकसभा में उपनिवेश-उपमंत्री से पूछा कि क्या आपका ध्यान १९०६ के फ्रीडडॉ बाड़ा-अध्यादेशके दूसरे खण्डकी धारा ५, ८ और ९ की ओर गया है; जिसके अन्तर्गत घरेलू नौकरोंके अलावा सभी भारतीयोंके लिए उस क्षेत्रमें रहना वर्जित है जो इससे प्रभावित होता है। उन्होंने यह भी पूछा कि इस बातको देखते हुए, कि सम्राट्की स्वीकृतिके बिना अध्यादेश लागू नहीं हो सकता और ब्रिटिश भारतीयोंको वोअर और वर्तमान दोनों सरकारोंके अधीन वर्षोंसे यह अधिकार प्राप्त रहा है कि वे फ्रीडडॉ के नागरिकोंसे प्राप्त सनदोंके अन्तर्गत उस क्षेत्रमें जमीनपर कब्जा कर सकते हैं तथा अब भी उस क्षेत्रमें निवास कर रहे हैं और वहाँ उन्होंने पक्के ढाँचे खड़े कर लिये हैं, क्या उपनिवेश-मन्त्री महोदय महामहिमको अध्यादेश अस्वीकृत कर देनेकी सलाह देंगे?
    श्री चर्चिल : उन धाराओंकी ओर मेरा ध्यान गया है। यह जमीन मूलतः गरीब नागरिकोंको, यानी केवल गोरे लोगोंको दी गई थी और सो भी व्यक्तिगत अधिवासकी शर्तपर। अतः, अध्यादेश इस क्षेत्रके हमारे राज्यमें मिलाये जानेसे पहलेफी कानूनी शर्तोंको स्थायित्व-भर प्रदान करता है। उन शर्तोंको, मुझे मालूम हुआ है, कुछ भारतीयोंने तोड़कर कुछ बादोंपर कब्जा कर लिया है, और टीनकी झोपड़ियों खड़ी कर ली हैं। मैं यह कह दूँ कि गोरे और रंगदार लोगोंके आवास अलग-अलग रखना बहुत अपेक्षित है, क्योंकि यूरोपीय, एशियाई और वतनी परिवारोंको साथ-साथ मिश्रित समुदायके रूपमें रखनेका प्रचलन अनेक बुराइयोंसे भरा हुआ है और, लॉर्ड सेल्बोर्नके शब्दोंमें, यह तीनोंके सामाजिक हितके लिए घातक है। फिर भी, पूरा प्रश्न अभीतक विचाराधीन है।