पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/२९४

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२७४. पत्र : सर रेमंड वेस्टको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २९, १९०६

प्रिय सर रेमंड,

आज जलपानके समय आपने जो उदात्त और प्रेरणापूर्ण वचन कहे उनके लिए अपनी और श्री अलीकी ओरसे मैं आपको पुनः धन्यवाद देता हूँ। मैं जानता हूँ कि अपने जीवन-संघर्ष में हमें आपके सलाह और सहारेका लाभ मिलता रहेगा। इस विचारसे, कि इतने अधिक विशिष्ट पुरुष पूरे मनसे हमारे साथ हैं, हम लोगोंमें उत्साह भर जाता है और यद्यपि निराशाका बादल इस समय सर्वाधिक घना जान पड़ता है, तो भी हम अच्छे दिनोंकी आशा कर पाते हैं।

आपका सच्चा,

सर रेमंड वेस्ट, के॰ सी॰ आई॰ ई॰
'चेस्टरफील्ड'
कॉलेज रोड
नॉरवुड, एस॰ ई॰

टाइपकी हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस॰ एन॰ ४६६३) से।
 

२७५. पत्र : लॉर्ड रेको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २९, १९०६

लॉर्ड महोदय,

श्री अली और मैं अपनी तथा ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी ओरसे, जिनका प्रतिनिधित्व करनेका हमें सौभाग्य प्राप्त है, आजकी सभा में उपस्थित रहनेके लिए आपके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। आपने जो सुन्दर भाषण दिया और हमें ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयों तक पहुँचाने के लिए जो सन्देश दिया उसके लिए भी हम आपके कृतज्ञ हैं।