पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/२९६

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२७७. पत्र : डी॰ जी॰ पान्सेको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २९, १९०६

प्रिय महोदय,

इस महीने में किसी दिन, होटल लौटनेपर मुझे एक कार्ड मिला था जो आप यहाँ छोड़ गये थे। मैं उसे इस आशासे रखे रहा कि अपने मुकामको अवधिमें कभी आपसे मिल सकूँगा। किन्तु देखता हूँ कि वैसा करना सम्भव नहीं है। इसलिए मैं क्षमा प्रार्थनाके रूपमें यह पत्र लिख रहा हूँ।

आपका सच्चा,

श्री डी॰ जी॰ पान्से
इन्स ऑफ कोर्ट होटल
हाइ हॉलबर्न

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ४६६०) से।
 

२७८. पत्र : कुमारी एडिथ लॉसनको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २९, १९०६

प्रिय कुमारी लॉसन,

आपके पत्रके लिए बहुत धन्यवाद। हम शनिवारको रवाना हो रहे हैं। मुझे हर्ष है कि आप पहले ही गहरे संघर्षके बीच पहुँच गई हैं और अपने कामके विषयमें इतनी आशाके साथ बातचीत कर सकती हैं। श्री अली और मैं दोनों आपकी दैनन्दिन प्रगतिके समाचारोंके लिए उत्सुक रहेंगे। दक्षिण आफ्रिकामें ब्रिटिश भारतीय प्रश्नसे अपना सम्पर्क बनाये रखनेका वादा आप मुझसे कर चुकी हैं। ठीक है न? आप हर हफ्ते श्री रिचसे 'इंडियन ओपिनियन' का अंक पढ़नेके लिए अवश्य लेती रहें।

आपका सच्चा,

कुमारी एडिथ लॉसन
७४, प्रिंस स्क्वेयर

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस॰ एन॰ ४६६१) से।