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२७९. पत्र : कुमारी ई॰ जे॰ बेकको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २९, १९०६

प्रिय कुमारी बेक,

आपके २८ तारीखके पत्रके लिए बहुत धन्यवाद। यद्यपि मैं चाहता था कि दक्षिण आफ्रिका लौटने से पहले आपसे मिलूँ, किन्तु मुझे दुःख है कि मैं मिल नहीं सका। शिष्ट-मण्डल अगले शनिवारको वापस जा रहा है।

मैंने जिन तरुण भारतीय श्री पत्तरके बारेमें आपको लिखा था, उनसे इतवारको आपसे मिलनेके लिए कहा है।[१]

आपका सच्चा,

कुमारी ई॰ जे॰ बेक
२३३, ऐल्बियन रोड
स्टोक न्यूइंगटन, एन॰

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ४६६२) से।
 

२८०. पत्र : जे॰ एच॰ पोलकको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २९, १९०६

प्रिय श्री पोलक,

आखिरकार मैं यह सोचता हूँ कि रत्नम् कमसे कम फिलहाल वान वीनेनके यहाँ चला जाये। बेडफोर्ड काउन्टी स्कूल आयु अधिक हो जानेके कारण उसको नहीं लेगा। मुझे कोई दूसरी संस्था तलाश करनेका वक्त नहीं मिला। उसको जल्दी से जल्दी 'भारत कार्यालय' से चला जाना चाहिए। इसलिए यदि वान वीनेन उसको अब भी लेनेके लिए तैयार हो तो आप कृपा करके ऐसी व्यवस्था कर दें जिससे रत्नम सोमवारको वेस्टक्लिफको रवाना हो सके। मैं यह चाहता हूँ कि कुमारी वीनेन उसको जितनी शिक्षा दे सकती हैं, दें। शायद वे उसके लिए वेस्टक्लिफ कोई निजी शिक्षक ठीक कर सकती हैं या उसको किसी स्कूल या वर्ग में दाखिल करा सकती हैं। उक्त प्रस्तावके अनुसार श्री रत्नम् पत्तरको रेलवेका मियादी टिकट

  1. देखिए "पत्र : कुमारी ई॰ जे॰ बेकको", पृष्ठ २५०।