पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/३०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२७३
शिष्टमण्डलकी टीप—४


श्री रिचने कुछ सवालोंके जवाब देते हुए कहा कि यदि भारतीयोंके साथ न्याय करना और उपनिवेशोंको खो देना, ये दो ही विकल्प हों तो उपनिवेशोंको जाने देना ज्यादा अच्छा होगा। किन्तु भारतीयोंको न्याय न मिले, यह ब्रिटिश जनताके लिए बहुत ही लज्जा जनक है।

सर मंचरजीने कहा कि मैं इस विषय में बहुत वर्षोंसे सोचता आ रहा हूँ। मेरे लिए भारतीयोंके कष्ट बर्दाश्त करना सम्भव नहीं है। श्री रेमंड वेस्टने धीरज रखनेके लिए कहा है। किन्तु यह धीरज रखनेका समय नहीं है। भारतीयोंके अधिकार मारे जायें तो फिर धीरज रखनेको क्या रहा?

सभा के समाप्त होनेसे पहले नैतिकतावादी समिति संघको मन्त्री कुमारी विंटरबॉटमने भारतीयों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए प्रस्ताव पेश किया जो पास हो गया। इसके बाद श्री रिचका आभार मानकर सभा विसर्जित हुई।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २९-१२-१९०६
 

२८६. शिष्टमण्डलकी टीपें—४

[दिसम्बर १८, १९०६ के पूर्व]

यह पत्र डाकके जिस जहाजसे जा रहा है उसीसे प्रतिनिधि भी अपना काम पूरा करके जा रहे हैं। वास्तव में यह टिप्पणी जहाजमें ही लिखी जा रही है।

अन्तिम सप्ताह हमेशा याद रहेगा। जिस कामके लिए प्रतिनिधि विलायत आये थे उसके सफल होने का विश्वास हर घड़ी बढ़ता गया है।

संसद सदस्योंकी दूसरी सभा

श्री मॉर्लेके उत्तरके बाद संसद सदस्योंकी आँखें और भी खुलीं। उन्होंने समझ लिया कि यदि ट्रान्सवालका कानून मँजूर हो गया तो उससे इंग्लैंडकी नाक कट जायेगी। इसलिए उन्होंने दूसरी बैठक करनेका निश्चय किया। सर चार्ल्स श्वान, श्री कॉक्स तथा श्री स्कॉट उस काममें जुट गये। उन्होंने हमें सभाके लिए सूचना जारी करनेका हुक्म दिया। सूचनाएँ रातोंरात तैयार करके डाकमें डाल दी गईं। सोमवारको सदस्योंकी बैठक हुई। उसमें उन्होंने प्रस्ताव किया कि प्रधान मन्त्रीसे मिलकर इस कानूनके सम्बन्ध में बातचीत की जाये। एक समिति बनाई गई और वह सर हेनरी केम्बेल बेनरमनसे मिली। प्रधानमन्त्रीने कहा कि यह कानून उन्हें पसन्द नहीं है। इस सम्बन्धमें वे स्वयं लॉर्ड एलगिनसे मिलेंगे। इससे आशाका पहला कारण उपलब्ध हुआ।

श्री विन्स्टन चर्चिलसे मुलाकात

श्री विन्स्टन चर्चिलते हमें समय दिया था। उसके अनुसार हम उनसे मिले। उन्होंने अच्छी तरह बातचीत की। उन्होंने हम दोनोंसे पूछा कि यह कानून पास न भी हो तो

६–१८