पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/३१०

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२८७. शिष्टमण्डल द्वारा आभार प्रकाशन[१]

[केप टाउन]
दिसम्बर २०, १९०६

डर्बनसे लगभग ३० स्नेहपूर्ण सन्देश मिले हैं। मैफेकिंगसे भी मिले हैं। शिष्टमण्डलके सदस्य सबका आभार मानते हैं। हरएकके नामसे अलग-अलग तार प्राप्तिकी सूचना नहीं दी जा सकती। परमेश्वरका उपकार माना जाये, प्रतिनिधियोंका नहीं। उन लोगोंने तो मात्र अपने कर्तव्यका निर्वाह किया है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २२-१२-१९०६

२८८. स्वागत-सभा में प्रस्ताव[२]

जोहानिसबर्ग
[दिसम्बर २३, १९०६]

प्रस्ताव २[३] : ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी यह सभा अब इंग्लैंडके उन अनेक मित्रोंको धन्यवाद देती है जिन्होंने प्रतिनिधियोंकी सक्रिय सहायता की है; और साथ ही ब्रिटिश भारतीय संघ के अध्यक्ष और हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके स्थानापन्न अध्यक्षको इन सज्जनोंके नाम धन्यवादपत्र लिखनेका अधिकार देती है।

प्रस्ताव ३ : ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी यह सभा आगे अंकित करती है कि भारतीय समाजकी विनम्र अभिलाषा यूरोपीय उपनिवेशियोंके सहयोगमें काम करनेकी है और वह उनकी इच्छाओंको हर समुचित तरीकेसे पूरा करने को तैयार है। सभाका विश्वास है कि वे भी ट्रान्सवालके भारतीय अधिवासियोंको इस उपनिवेशमें आत्मसम्मान और प्रतिष्ठाके साथ

  1. इग्लैडसे लौटनेपर दिसम्बर २० को केप टाउनसे गांधीजीने इंडियन ओपिनियन के सम्पादकके नाम इस आशयका तार भेजा था।
  2. गांधीजी और अलीके दक्षिण आफ्रिका लौटनेपर ब्रिटिश भारतीय संघने उनके स्वागतमें २३ दिसम्बरको हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके सभा भवनमें एक समारोहका आयोजन किया था। सभा में उन्हें मानपत्र भेंट किये गये और उनके कार्योंकी सराहना की गई। उत्तरमें गांधीजी और अलीने जो कुछ कहा इंडियन ओपिनियन के अनुसार इस प्रकार था : "हमारा काम अभी शुरू ही हुआ है। हमें यूरोपीय उपनिवेशियोंको यह दिखाना है। कि भारतीयोंका दावा न्यायपूर्ण और उचित है तथा उसपर किसी भी संयत उपनिवेशीको विरोध नहीं हो सकता।"
  3. जान पड़ता है, इसका तथा इसके बादके प्रस्तावका मसविदा गांधीजीने तैयार किया था। इससे पहले समामें गांधीजी और अलीको उनके कार्यकी सफलतापर बधाई देनेका प्रस्ताव पास किया गया था। तीनों प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किये गये।